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मगधकालीन भारत के देशों के नागरिकों को आपस में शादी विवाह संबंध स्थापित करने का अधिकार मिलना चाहिए : केएन त्रिपाठी

रिपोर्ट: Ashwini kumar Ghai498 दिन पहलेआर्टिकल

इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सह मगध फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने इस मामले का समर्थन करते हुए कहा है कि मगधकालीन भारत के अंतर्गत आने वाले देशों के नागरिकों का आपस में शादी व्याह संबंध स्थापित करने का अधिकार मिलना चाहिए।

मगधकालीन भारत के देशों के नागरिकों को आपस में शादी विवाह संबंध स्थापित करने का अधिकार मिलना चाहिए : केएन त्रिपाठी

मेदिनीनगर: आजकल भारत के मुख्य धारा के मीडिया सहित सोशल मीडिया पर पबजी गेम के माध्यम से पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर और भारत के सचिन मीणा का आपस में प्रेम होने और शादी करने की चर्चा छाया हुआ है। इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सह मगध फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने इस मामले का समर्थन करते हुए कहा है कि मगधकालीन भारत के अंतर्गत आने वाले देशों के नागरिकों का आपस में शादी व्याह संबंध स्थापित करने का अधिकार मिलना चाहिए।

पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, तिब्बत, फारस, भूटान, नेपाल, बर्मा, श्याम, थाईलैंड आदि भारत का हिस्सा थे

श्री त्रिपाठी ने कहा कि मगध साम्राज्य के उत्कर्ष काल में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, तिब्बत, फारस, भूटान, नेपाल, बर्मा, श्याम, थाईलैंड आदि भारत का हिस्सा थे। आज भी वहां के निवासियों के रग-रग में भारतीय संस्कृति रची बसी है। ये सारे देश सांस्कृतिक रुप से वृहद भारत का हिस्सा हैं। इसलिए इन देशों के नागरिकों को आपस में साँस्कृतिक और सामाजिक रुप से एक दूसरे से मिलने और आपस में संबंध स्थापित करने की आजादी मिलनी चाहिये। इस कार्य में इन सभी देशों की सरकारों को सहयोगी भूमिका निभाना चाहिए।

सीमा हैदर के मामले को उन्होंने अभिव्यक्ति और नागरिक स्वतंत्रता का मामला बताते हुए कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस मामले की जासूसी ऐंगल से जांच का समर्थन करते हुए श्री त्रिपाठी ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को हर पहलू से जाँच पड़ताल करना चाहिए क्योंकि यह देशहित में बहुत जरूरी है।

श्री केएन त्रिपाठी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए बताया कि मगध फाउंडेशन सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि अन्य देशों से भी इस तरह के संबंध स्थापित करने के मामले को बढ़ावा देगा और इसके लिए विशेष अभियान भी चलायेगा। इस तरह से भारत को साँस्कृतिक और सामाजिक रूप से मजबूत करने के साथ ही त्रिध्रुवीय विश्व की धुरी बनाने में मदद मिलेगा।

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