77 साल बाद भी बीड़ी मजदूरों का शोषण जारी, मजदूरी में कटौती का आरोप, आंदोलन की चेतावनी
बीड़ी मजदूर न केवल गरीबी और बीमारी से जूझ रहे हैं, बल्कि कंपनियों और बीड़ी मुंशीयों के जरिए आर्थिक शोषण का सामना भी कर रहे हैं।
पाकुड़ : आजादी के 77 साल बाद भी बीड़ी मजदूरों की हालत दयनीय बनी हुई है। गरीब और लाचार मजदूर आज भी बीड़ी बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, लेकिन बीड़ी कंपनियों द्वारा उनका आर्थिक शोषण जारी है। मजदूरों का कहना है कि एक हजार बीड़ी बनाने के बदले उन्हें मात्र ₹200 से भी कम मजदूरी दी जाती है।
समझौते के बावजूद नहीं बढ़ाई मजदूरी
पिछले वर्ष 24 दिसंबर को इंटक नेता अर्धेंदु शेखर गांगुली की मध्यस्थता में बीड़ी मजदूर संघ और बीड़ी मालिक एसोसिएशन के बीच एक बैठक हुई थी। इस बैठक में सहमति बनी थी कि मजदूरों को प्रति 1000 बीड़ी के लिए ₹202 का भुगतान किया जाएगा। लेकिन कंपनियां अभी भी मजदूरों को ₹190-199 प्रति हजार बीड़ी का भुगतान कर रही हैं।
50,000 मजदूर शोषण का शिकार
पाकुड़ और बरहरवा ब्लॉक के लगभग 50,000 बीड़ी मजदूर इस शोषण का शिकार हो रहे हैं। बीड़ी मजदूर न केवल गरीबी और बीमारी से जूझ रहे हैं, बल्कि कंपनियों और बीड़ी मुंशीयों के जरिए आर्थिक शोषण का सामना भी कर रहे हैं।
इंटक नेता गांगुली ने जताई गंभीर चिंता
इंटक नेता गांगुली ने कहा कि मजदूरों को उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मजदूरों को 190-199 रुपये प्रति हजार बीड़ी का भुगतान किया जा रहा है, जबकि उनके खातों में ₹202 के दर से मजदूरी दर्ज की जा रही है।
कंपनियों के खिलाफ आंदोलन की तैयारी
गांगुली ने कहा कि यदि मजदूरों को उनकी उचित मजदूरी नहीं दी गई तो वह जिला उपायुक्त और श्रमायुक्त से लिखित शिकायत करेंगे। इसके साथ ही, मजदूरों के हक के लिए आंदोलन करने की चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि अगर मजदूरों की आवाज नहीं सुनी गई, तो उनके साथ सड़कों पर उतरकर उनका अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करूंगा।
बैठक में मौजूद कंपनियां
बैठक में पताका बीड़ी, श्याम बीड़ी, शेर बीड़ी, सीजे पटेल और अन्य बीड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इन कंपनियों के तहत काम करने वाले बीड़ी मुंशी ग्रामीण इलाकों में मजदूरों से बीड़ी बनवाकर फैक्ट्री तक पहुंचाते हैं और मजदूरी का भुगतान भी इन्हीं के माध्यम से होता है।
सरकार और प्रशासन से अपील
गांगुली ने प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि मजदूरों को उनके अधिकार नहीं मिलते हैं, तो यह बीड़ी मजदूरों के लिए बड़ी चुनौती होगी। बीड़ी मजदूरों की दयनीय स्थिति और उनके शोषण को लेकर अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं।