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हिरणपुर की महिलाएं मुर्गी पालन से बनीं आत्मनिर्भर, सखी मंडल से मिली नई राह

रिपोर्ट: VBN News Desk4 दिन पहलेझारखण्ड

तेलोपाड़ा गांव की सिल्विया पहाड़िन बनीं सैकड़ों आदिवासी महिलाओं की प्रेरणा

हिरणपुर की महिलाएं मुर्गी पालन से बनीं आत्मनिर्भर, सखी मंडल से मिली नई राह

पाकुड़ : जिले के हिरणपुर प्रखंड में आदिवासी एवं आदिम जनजातीय महिलाओं का जीवन अब सकारात्मक बदलाव की राह पर है। कभी जंगलों में लकड़ी चुनने वाली महिलाएं आज मुर्गी पालन कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इन महिलाओं की जिंदगी में यह बदलाव आया है झारखंड राज्य आजीविका मिशन (JSLPS) के तहत ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित सखी मंडल की बदौलत।

हिरणपुर ब्लॉक के छोटे से गांव तेलोपाड़ा की रहने वाली सिल्विया पहाड़िन जो आदिम जनजाति समुदाय से आती हैं कभी बेहद कठिन हालातों में जीवन यापन करती थीं। लेकिन सखी मंडल से जुड़ने के बाद उन्हें मैया सम्मान योजना की राशि प्राप्त हुई जिससे उन्होंने मुर्गी पालन शुरू किया। सिल्विया आज अपने साहस और मेहनत से न केवल खुद आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि सैकड़ों महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं।

सिल्विया पहाड़िन की देखादेखी गांव की अन्य महिलाएं भी सशक्त बन रही हैं। रीना पहाड़िन बताती हैं कि सखी मंडल ने उन्हें रास्ता दिखाया। उन्होंने मुर्गी पालन कर अच्छी आमदनी की है और अपने बच्चों की पढ़ाई में इस आय का उपयोग कर रही हैं। उनके अनुसार मुर्गियां हमारे लिए एटीएम कार्ड की तरह हैं।

वहीं बसंती टुडू जो महिला पशुपालक हैं कहती हैं कि उन्होंने मैया सम्मान योजना की राशि से बकरी और मुर्गी के चूज़े खरीदे। कम समय में उन्हें इससे अच्छी कमाई हुई, जिससे उन्होंने अपने अधूरे घर का निर्माण कार्य शुरू किया और कुछ राशि को एफडी में भी निवेश किया।

इसी तरह सलामी किस्कू एक और महिला पशुपालक कहती हैं कि मुर्गी पालन ने उनके जीवन को बदल दिया है। सखी मंडल से जुड़कर उन्होंने न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्रता पाई है बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया है।

हिरणपुर की इन ग्रामीण महिलाओं की सफलता इस बात का उदाहरण है कि अगर सही मार्गदर्शन और संसाधन मिले तो ग्रामीण और आदिम जनजातीय समुदाय की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन समाज में अपनी पहचान बना सकती हैं।

रिपोर्ट : अजय कुमार

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