नये भारत के नव निर्माण में शिक्षकों का योगदान कार्यक्रम का दीप जला कर उद्घाटन
कार्यक्रम में जी० एण्ड एच० स्कूल के प्राचार्य दिलीप झा ने कहा कि हर किसी का कोई न कोई गुरु अवश्य होते हैं।

राँची-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बागान, हरमू रोड में दीप जला कर उद्घाटन करते हुये डॉ० त्रिवेणी नाथ साहू, उपकुलपति झारखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा कि शिक्षक बच्चों को सही मार्ग पर ले जाने वाला मार्गदर्शक होता है, जिसका मार्गदर्शन अभी पर्याप्त नहीं है। हमें नैतिक ज्ञान देने वाला एक सच्चा मार्गदर्शक परमशिक्षक परमात्मा है, जिनसे हम शुद्ध ज्ञान प्राप्त करते हैं। जिसका ज्ञान ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में सिखाया जाता है।
कार्यक्रम में जी० एण्ड एच० स्कूल के प्राचार्य दिलीप झा ने कहा कि हर किसी का कोई न कोई गुरु अवश्य होते हैं। प्रत्येक को अपने जीवन को सुगम व अच्छा बनाने के लिये एक शिक्षक की आवश्यकता है और प्रथम गुरु शिक्षक माता होती हैं। आध्यात्मिक एवं नैतिक रूप से सोचा जाये तो परमात्मा ही हमारे परमशिक्षक हैं।
कार्यक्रम में लाला लाजपत राय पब्लिक स्कूल के प्राचार्य शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि किसी भी रूप में शिक्षकों को सम्मान व आदर देना जरूरी है। शिक्षकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उन्हें बच्चों का सर्वांगीण विकास कर अपना योगदान देना होगा।
कार्यक्रम में मैनाक बनर्जी, सहायक प्रोफेसर आर० के० कॉलेज ने कहा कि अच्छे शिक्षक व मार्गदर्शक बनने के लिये पहले स्वयं को सही रखना है नैतिक ज्ञान रखना है। भौतिक जगत में ज्यादा उलझ नहीं जाना है, तभी हम समाज एवं परिवार में बच्चों को अच्छा संस्कार, ज्ञान दे पायेंगे।
कार्यक्रम में स्नेहा राय, सेन्ट्रल एकेडमी स्कूल की प्राचार्या ने कहा कि परमात्मा ही हम सभी का परमशिक्षक है। अच्छे शिक्षक होने के लिये शिक्षक में तीन चीजों का होना आवश्यक है-परमात्मा की शक्ति, संस्कार से युक्त और अनुशासन का। जिसका ज्ञान ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में बताया जाता है।
कार्यक्रम में आनंद कुमार मिज, राजकीय हाई स्कूल बोड़ेया के प्राचार्य ने कहा कि शिक्षक ही बच्चों को सही ज्ञान देकर उन्हें अच्छी जीवन दे सकते हैं या फिर उन्हें उल्टी दिशा का ज्ञान दे सकते हैं, यह शिक्षक की प्रबुद्धता और योग्यता पर निर्भर है।
कार्यक्रम में डॉ० रानी प्रगति प्रसाद, प्रोफेसर एस०ओ०एस० मेमोरियल कॉलेज राँची ने कहा कि हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे बच्चे अंधकार से प्रकाश की ओर जा सके। इसके लिये शिक्षक को स्वयं नशामुक्त रहना चाहिए। दहेज प्रथा को प्रोत्साहन नहीं करना चाहिए।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि नये भारत के नव निर्माण में शिक्षकों का एक बहुत ही अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के सशक्त भारत के नवनिर्माण अथवा भारत को पुनः विश्व गुरु जैसे सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित करने के लिये केवल कम्प्यूटरयुक्त फैक्ट्री में तीव्र गति से गुणात्मक वस्तुओं का उत्पादन ही पर्याप्त नहीं है। हमारा वर्तमान संसार भौतिक वस्तुओं के उत्पादन से सम्पन्न हो रहा है परंतु समाज और संसार की व्यवस्था को संचालित करने वाला मानव मन मनोविकारों के दुष्चक्र में फंसकर स्वयं समस्याओं का उत्पादन करने की फैक्ट्री बन गया है। आज हमारे समाज में स्कूल एवं कॉलेज में बच्चों को किताबी जानकारियों ही उपलब्ध कराते हैं, जिससे बच्चों को नैतिक ज्ञान व संस्कार से युक्त ज्ञान का आधारशिला मजबूत नहीं हो पाती। भारत के नवनिर्माण में हमारे समाज में शिक्षकों के अतिरिक्त परमशिक्षक परमपिता परमात्मा की भी आवश्यकता होनी चाहिए जिससे परमात्मा के सहयोग से मानव मन को पहले विकारों के दुष्चक्रों और अन्य समस्याओं से मुक्त करें, फिर भारत को एक सशक्त देश बनाने की दिशा में कार्य करने की हमें आवश्यकता है। कार्यक्रम में प्रोफुल्ल कुमार उपप्रधानाचार्य लाला लाजपत राय पब्लिक स्कूल, डॉ० शमीक चटर्जी सहायक प्रोफेसर आर० के० कॉलेज, कल्याणी कुमारी प्राचार्या राजकीय हाई स्कूल, तृप्ति प्रसाद इनर्जी सेंट माइकल स्कूल, अमृता पांडे, सजय बेदी, शिल्पा बेदी, महेन्द्र कुमार, शशांक शर्मा, चन्द्रभूषण, पूजा कुमारी, महेन्द्र कुमार, अशोक सिन्हा सहित अन्य लोग शामिल थे। सभी का नृत्य द्वारा स्वागत हुआ एवं पटटा ओढ़ाकर अभिनंदन हुआ।