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सिद्धो-कान्हू की धरती भोगनाडीह में फिर उठी हूल की ललकार, अदिबासियों और पुलिस के बीच झड़प

रिपोर्ट: VBN News Desk6 घंटे पहलेझारखण्ड

लिखित अनुमति के बावजूद कार्यक्रम में बाधा, ग्रामीणों और पुलिस के बीच तीखी झड़प, दागे गए आंसू गैस के गोले

सिद्धो-कान्हू की धरती भोगनाडीह में फिर उठी हूल की ललकार, अदिबासियों और पुलिस के बीच झड़प

भोगनाडीह, साहिबगंज : अमर शहीद सिद्धो-कान्हू की जन्मभूमि भोगनाडीह एक बार फिर हूल क्रांति जैसे हालात की ओर बढ़ती दिख रही है। सोमवार को बरहेट प्रखंड अंतर्गत भोगनाडीह गांव में पुलिस और संथाल ग्रामीणों के बीच जोरदार झड़प हो गई। बताया जा रहा है कि इस संघर्ष में संथालों द्वारा चलाए गए तीरों से पुलिस के दो जवान घायल हो गए वहीं जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। कुछ स्रोतों ने गोली चलने की भी अपुष्ट खबर दी है। इस घटना के पीछे की पृष्ठभूमि में मंडल मुर्मू द्वारा 30 जून को हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह स्टेडियम में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है। उन्होंने इसकी लिखित सूचना पहले ही प्रशासन को दे दी थी। लेकिन प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं दी गई जिससे नाराज़ ग्रामीणों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। जनता के दबाव के बाद प्रशासन ने मौखिक रूप से कार्यक्रम की मंजूरी दी लेकिन आरोप है कि देर रात प्रशासन द्वारा मंच को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। मंडल मुर्मू का कहना है कि उन्होंने लिखित अनुमति की मांग की थी फिर भी प्रशासन ने उनके आयोजन में बाधा पहुंचाई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गांव के मांझी और अन्य ग्रामीण पूरी तरह से उनके समर्थन में हैं। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल बन गया है। पुलिस द्वारा बल प्रयोग और ग्रामीणों के तीखे विरोध के बीच भोगनाडीह एक बार फिर सामाजिक और प्रशासनिक टकराव का केंद्र बन गया है। हूल दिवस से पहले ही बढ़ता यह तनाव अब सीधे संघर्ष में तब्दील होता जा रहा है जिससे आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। अब तक प्रशासन की ओर से कोई उच्च स्तरीय बयान या कार्रवाई सामने नहीं आई है जिससे ग्रामीणों का आक्रोश और गहरा होता जा रहा है। सिद्धो-कान्हू की धरती पर यह टकराव न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि सरकार की आदिवासी नीति और संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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