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ऐ वतन मेरे

रिपोर्ट: नूतन 506 दिन पहलेआर्टिकल

हम सब हैं शेर सपूत तेरे

ऐ वतन मेरे

ऐ वतन मेरे हम सब हैं शेर सपूत तेरे आखिर तूझ पर ही हमारे बसेरे तुझपर ही तो देखा हमने, रात्रि औश्र सवेरे। ये धूल, ये मिट्टी, ये मकानें और डेरे। तू वो है जो कभी ना हमसे आंखे फेरे। मै जहां जाऊं तू रहे मन में मेरे। ये खेत, ये बगान, ये फूल, ये पत्ती हम तुझपर ही तो ठहरे। हर घर, हर दिल, हर जगह, तेरा ही तो परचम लहरे। तुझपर ही तो हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई, सब रहे जैसे भाई- भाई। आखिर तूने उनपर भी तो प्यार बरसाई। तभी तो तू भारत मां कहलाई। सरहद पर जवान तुझको दें पहरे अऐ वतन मेरे, हम सब हैं शेर सपूत तेरे

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