कुरुमगढ़ वन क्षेत्र के जंगलों में धड़ल्ले से हो रही है पेड़ो की कटाई
कुछ जानकार यह भी बताते हैं कि वन विभाग का मिलीभगत से लकड़ी माफिया एक-दो पेड़ का परमिशन कराकर 20 से 50 पेड़ों की कटाई करवा देते हैं। कुछ ग्रामीण इसका विरोध करते हैं तो उन्हें पैसों का लालच देकर या डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है।

वन विभाग के कर्मचारी परमिशन की बात कह झाड़ देते हैं पल्ला
**आखिर कब थमेगी जंगलों की अवैध कटाई......? ** चैनपुर-: कुरुमगढ़ वन प्रमंडल अंतर्गत चैनपुर प्रखंड में इन दिनों बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है। माफिया कीमती पेड़ों की कटाई करवा रहे हैं क्षेत्र के जंगलों से बड़े पेड़ गायब होते जा रहे हैं परंतु वन विभाग तमाशबीन बना हुआ है। क्षेत्र में अवैध रूप से हो रहे पेड़ों की कटाई के मामले में वन विभाग से पूछने पर परमिशन की बता कर अपना पल्ला झाड़ देते हैं। परमिशन के नाम पर अवैध पेड़ कटाई से वनों का उजड़ना आज भी बदस्तूर जारी है। कुछ जानकार यह भी बताते हैं कि वन विभाग का मिलीभगत से लकड़ी माफिया एक-दो पेड़ का परमिशन कराकर 20 से 50 पेड़ों की कटाई करवा देते हैं। कुछ ग्रामीण इसका विरोध करते हैं तो उन्हें पैसों का लालच देकर या डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है। बेखौफ लकड़ी माफिया क्षेत्र के विभिन्न जंगलों में सखुआ के बड़े बड़े पेड़ों की कटाई कर छोड़ दिए हैं जिसे रात के अंधेरे में ढुलाई कर तस्करी की जाती है। प्रखंड के कतारीकोना जंगल में लकड़ी माफियाओं के द्वारा अत्याधिक सखुआ के पेड़ को काट कर छोड़ दिया गया है। वही गांव के कुछ बुजुर्गों ने बताया कि एक समय हमारा क्षेत्र घनघोर जंगलों से घिरा हुआ था उस समय जंगली जानवर जंगलों में रहते थे गर्मी भी कम लगती थी मगर इस सुंदर वन क्षेत्र को लकड़ी माफियाओं की नजर लग गई वह दीमक की तरह हमारे सुंदर जंगलों को खोखला कर रहे हैं हमारे पेड़ों को काट रहे हैं। जिसका कारण यह हो रहा है कि जंगली जानवर आज हमारे घरों में खुश रहे हैं हमारे घरों को ध्वस्त कर रहे हैं हमारे फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं वही प्रचंड गर्मी लोगों को जला रही हैं। इस तरह जंगलों की कटाई वन विभाग की मिलीभगत के बगैर असंभव है समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाला समय बहुत ही भयावह होगा। वही कुछ ग्रामीणों ने परमिशन के नाम पर हो रहे जंगलों की अवैध कटाई पर भी सवालिया निशान खड़ा किया है। लोगों का कहना है कि सरकार एक ओर जंगल बचाने की मुहिम चलाती है वहीं दूसरी ओर परमिशन देकर जंगलों को कटवा रही है। बीते 1 साल में क्षेत्र से हजारों लाखों की संख्या में अवैध रूप से पेड़ों को काट दिया गया। इतने पेड़ों की भरपाई कौन करेगा परमिशन के नाम पर वन विभाग की मिलीभगत से हो रही अवैध कटाई को रोकने की आवश्यकता है। जल जंगल जमीन की रक्षा करने की बात कहने वाली सरकार भी आज हमारे जंगलों को बचाने के लिए आगे नहीं आ रही है ऐसे में हमारा जंगल उजड़ता जा रहा है।
अवैध पेड़ कटाई से उजडते वन आखिर जिम्मेदार कौन..? क्षेत्र में अवैध कटाई से वनों का उजड़ना आज भी बदस्तूर जारी है। विडंबना ही है कि जिन लोगों को वनों की सुरक्षा का भार सौंपा जाता है वही लोग वनों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं। रक्षक ही भक्षक बन जाए तो उसे कौन बचा सकता है आखिर सरकार और उनके नुमाइंदे वनों के महत्व को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं। वे उनकी सुरक्षा व्यवस्था के प्रति इतने लापरवाह क्यों है ज्ञात हो कि प्राचीन काल से ही वन मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं यह मानव जीवन के लिए प्रकृति के अनुपम उपहार हैं। हमारे वन पेड़-पौधे ही नहीं अपितु अनेकों उपयोगी जीव-जंतुओं वह औषधियों का भंडार है इतना ही नहीं वन पृथ्वी पर जीवन के लिए अनिवार्य तत्व है। यह प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में पूर्णतया सहायक होते हैं। लेकिन अफसोस तो इस बात का है कि जंगल के अधिकारियों ने जंगलों को लकड़ी माफियाओं के हाथों में मानो बेच दिया हो।
क्या कहते है डीएफओ इस संबंध गुमला डीएफओ अहमद बेलाल अनवर फोन पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रैयती प्लॉट की पेड़ो की परमिशन दी जाती है। रैयत प्लॉट के अलावा अगर फॉरेस्ट प्लॉट मैं लगे पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है। अगर किसी के द्वरा अवैध रूप से पेड़ो की कटाई की जा रही है तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। रेंजर ने कहा रैयत प्लॉट में 20 पेड़ों का होता है परमिशन वहीं रेंजर गायत्री देवी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रैयत प्लॉट में 20 पेड़ों के लिए परमिशन होता है अगर 20 से 21 पेड़ों की भी कटाई हो रही है तो वनपाल एवं वंनरक्षीयो पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। साथी अवैध रूप से पेड़ काटने वालों पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। मैं इसकी जांच करा रही हूं।