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टांगीनाथ धाम जहां परशुराम के फरसे में आज भी बसते है भोलेनाथ

रिपोर्ट: शनिरंजन 18 घंटे पहलेझारखण्ड

श्रद्धालु मानते हैं कि नारियल चढ़कर की गई मन्नत जरूर पूरी होती है

टांगीनाथ धाम जहां परशुराम के फरसे में आज भी बसते है भोलेनाथ

डुमरी :- शिव धाम टांगीनाथ जहां झारखंड के घने जंगलों के बीच भगवान परशुराम का फरसा बन गया है आस्था का प्रतीक सावन में उमड़ती है हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ गुमला जिले में स्थित है टाँगीनाथ धाम जिसे झारखंड का कैलाश कहा जाता है भगवान परशुराम के लोहे के फरसे को माना जाता है अविनाशी त्रिशूल जो आज भी जंग नहीं खाता सावन में हजारों श्रद्धालु कठिन चढ़ाई पर भोलेनाथ को अर्पित करते हैं जल 360 शिवलिंग बुद्धकालीन मूर्तियां और आठ पंक्तिबद्ध शिवलिंग बनते हैं इसे अनोखा तीर्थ नागपुरी भाषा में होती है पूजा 2000 वर्षों से इस क्षेत्र की परंपरा और मान्यता जीवित राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जरूरत संरक्षण और प्रचार प्रसार के लिए प्रशासनिक पहल की दरकार आस्था और रहस्य का संगम झारखंड का चीन धाम झारखंड के घूमने जिले से 40 किमी दूर स्थित टांगीनाथ धाम को कैलाश की उपमा दी जाती है 3.jpg

यह स्थान पहाड़ों और जंगलों के मध्य स्थित एक चमत्कारिक सिद्धांत है जहां सदियों पुराना लोहे का फरसा जिसे त्रिशूल रूप में पूजा जाता है आज भी जंग रहित है मानता है कि यह फरसा भगवान परशुराम का है जिन्हें शिव का रौद्र अवतार माना गया है श्रद्धालु मानते हैं कि यहां शिव सावन में भक्तों का अद्भुत संगम सावन की पहली सोमवारी से ही यहां कावड़ियों और साधकों की भीड़ उमर पड़ती है भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए लोग घने जंगलों और कठिन चढ़ाई को पार कर यहां पहुंचते हैं चारों ओर घूमता बोल बम ढोल नगाड़े और पारंपरिक गीत इस जगह को शिव की तपस्या स्थल बना देते हैं 2.jpg

मंदिर का स्वरूप और ऐतिहासिक धरोहर करीब 10000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले टांगीनाथ धाम परिसर में शिव विष्णु,लक्ष्मी सूर्य, आदि की सैकड़ो प्राचीन मूर्तियां स्थापित है इनमें से कई मूर्तियों को बुद्धकालीन भी माना जाता है इसके अलावा 360 शिवलिंग और आठ पंक्तिबद्ध शिवलिंग पहाड़ी चक्रधारी मंदिर में विराजमान है नीचे सर्प गुफा है जिसे हाल में ही में खोला गया है या गुफा 1500 फीट से अधिक लंबी है नागपुरी में होती है पूजा नारियल पर मन्नत की परंपरा यहां पूजा की एक अलग परंपरा है नागपुरी भाषा में पूजा करना यहां 2000 वर्षों से प्रचलित परंपरा रही है बैग पुजारी ही पूजा करते हैं 1.jpg

श्रद्धालु मानते हैं कि नारियल चढ़कर की गई मन्नत जरूर पूरी होती है और उसके बाद उन्हें दोगुना नारियल चढ़ाना अनिवार्य होता है राष्ट्रीय धरोहर के रूप में हो संरक्षण टांगीनाथ धाम आज केवल झारखंड नहीं पूरे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बन सकता है इसकी पुरातात्विक आध्यात्मिक और पर्यटनीय महत्ता को ध्यान में रखते हुए पर्यटन मंत्रालय पुरातत्व विभाग और राज्य सरकार को चाहिए कि इसके संरक्षण शोध और प्रचार के लिए विशेष योजना लाए l

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