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सरकार, प्रशासन विफल, झारखंड मुश्किल दौर में, युवाओं को आगे आना होगा : सुदेश महतो

रिपोर्ट: VBN News Desk2 दिन पहलेझारखण्ड

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने इस मौके पर कहा कि हेमंत सरकार में विजन और रोडमैप का अभाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 2047 तक विकसित भारत बनायेंगे।

सरकार, प्रशासन विफल, झारखंड मुश्किल दौर में, युवाओं को आगे आना होगा : सुदेश महतो

Hazaribagh: झारखंड की वर्तमान सरकार हर मोर्चे पर फेल हो गयी है। इस सरकार ने युवाओं के साथ वादख़िलाफ़ी की है। किसी भी विषय पर सरकार सम्पूर्ण समाधान का रास्ता नहीं निकाल सकी है। पलायन, रोजगार, नियोजन, कानून व्यवस्था हर पहलू पर सरकार विफल हो गयी है। सरकार अपना एक भी वादा पूर्ण नहीं कर सकी है। युवाओं के सपनों को सरकार ने मारा है। विस्थापन और पुनर्वास जैसे विषयों पर भी सरकार गंभीर नहीं दिखती है।

अंचल कार्यालय से लेकर पुलिस थाने तक प्रशासनिक कार्य का स्तर निम्न हुआ है। अनैतिक और अवैध कार्य सरकारी महकमे के संरक्षण में हो रहा है। झारखंड के नौकरशाही का स्तर बहुत निम्न स्तर पर पहुँच चुका है। उक्त बातें सुदेश महतो ने हजारीबाग के नगर भवन में कही। वे आजसू पार्टी के मिलन समारोह को संबोधित कर रहे थे। हजारीबाग लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी एवं आजसू पार्टी के महासचिव संजय मेहता के नेतृत्व में आयोजित पार्टी के मिलन समारोह में कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर सुदेश महतो ने युवाओं से आगे आने का आह्वान किया।

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने इस मौके पर कहा कि हेमंत सरकार में विजन और रोडमैप का अभाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 2047 तक विकसित भारत बनायेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बोलते हैं कि 2050 तक विकसित झारखंड बनाएंगे। देश से तीन वर्ष पीछे क्यों चलना चाहते हैं मुख्यमंत्री। युवा शक्ति को एकजुट होकर झारखंड में बदलाव के लिए एक बड़ी लड़ाई की तैयारी करनी होगी।

सुदेश महतो ने कहा कि सरकारी संरक्षण में कोयला और बालू की तस्करी हो रही है। विस्थापितों को हक नहीं मिल रहा। युवाओं को 10 लाख नौकरी कही नजर नहीं आ रही।

उन्होंने कहा कि सरकार, प्रशासन और माफिया की मिलीभगत से विस्थापितों का दमन किया जा रहा। आजसू अंतिम दम तक उनकी लड़ाई लड़ेगी। हम लगातार इनके विषयों को लोकसभा और विधानसभा में रख रहे हैं।

छात्रों का हो रहा दमन : तिवारी महतो

मांडू के विधायक तिवारी महतो ने कहा कि दो वर्षों से आदिवासी, दलित एवं पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किया जा रहा है और सरकार को कोई चिंता नहीं। गरीब किसान मजदूर परिवार से आने वाले छात्र पार्ट टाइम जॉब कर खर्चा निकाल रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार का मइयां योजना की राशि जुटने में पसीना छूट रहा है। राज्य सरकार का खजाना खाली है और वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

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