प्रयागराज महाकुंभ में ध्वजाधारी धाम के कर्दम ऋषि खालसा का भव्य आयोजन, कोडरमा ध्वजाधारी गेट बना आकर्षण का केंद्र
कर्दम ऋषि खालसा में श्रद्धालुओं के लिए 22 कुटिया, एक विशाल हॉल, और 300-400 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।

झुमरीतिलैया, कोडरमा : सृष्टि के सृजनकर्ता ऋषि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र कर्दम ऋषि की तपोभूमि, कोडरमा के ध्वजाधारी धाम से प्रेरित कर्दम ऋषि खालसा का आयोजन प्रयागराज महाकुंभ 2025 में महामंडलेश्वर श्री सुखदेव दास जी महाराज (महामंडलेश्वर, अखिल भारतीय श्री पंचनिर्मोही अखाड़ा) के मार्गदर्शन में भव्य रूप से शुरू हो गया है। यह आयोजन धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के अद्वितीय संगम को दर्शाता है। कर्दम ऋषि खालसा में श्रद्धालुओं के लिए 22 कुटिया, एक विशाल हॉल, और 300-400 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। यहां रहने, भोजन, स्नान और शौचालय जैसी सभी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं। आयोजन समिति ने हर श्रद्धालु के लिए सर्वोत्तम सेवा और आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित किया है। सोमवार को कोडरमा से 500-600 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे, जिनकी सेवा के लिए 60-70 स्वयंसेवक तैनात हैं। महामंडलेश्वर श्री सुखदेव दास जी ने बताया कि इस आयोजन में कोडरमा जिले से करीब 10,000 श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। वृंदावन और अयोध्या से पधारे 100 से अधिक साधु-संतों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया है। मंगलवार को 100 साधु-संतों ने महामंडलेश्वर जी के सान्निध्य में पवित्र गंगा में पुण्य स्नान किया। ध्वजाधारी धाम की पहचान को दर्शाने के लिए प्रयागराज महाकुंभ में कोडरमा ध्वजाधारी गेट की हूबहू प्रतिकृति तैयार की गई है। यह गेट न केवल ध्वजाधारी धाम की भव्यता को दर्शाता है, बल्कि श्रद्धालुओं को कोडरमा की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जोड़ता है। आयोजन स्थल पर श्रीमद्भागवत कथा और रासलीला का आयोजन श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां प्रतिदिन 500-700 श्रद्धालुओं के लिए भोजन, ठहरने और अन्य आवश्यकताओं की व्यवस्था की जा रही है। महामंडलेश्वर श्री सुखदेव दास जी महाराज ने श्रद्धालुओं से इस आयोजन में भाग लेकर ध्वजाधारी धाम का आशीर्वाद प्राप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल धर्म और अध्यात्म को सशक्त करता है, बल्कि हर श्रद्धालु के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम भी बनेगा।