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ईचागढ़ में विस्थापित आयोग गठन से जगीं उम्मीदें, लेकिन विस्थापितों की भागीदारी पर सवाल

रिपोर्ट: MANISH 2 घंटे पहलेझारखण्ड

चांडिल डैम विस्थापित अधिकार मंच ने जताई आशंका, कहा : हम विस्थापितों के बिना आयोग अधूरा

ईचागढ़ में विस्थापित आयोग गठन से जगीं उम्मीदें, लेकिन विस्थापितों की भागीदारी पर सवाल

चांडिल : सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में विस्थापितों का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। लंबे समय से लंबित विस्थापन और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने विस्थापित एवं पुनर्वास आयोग के गठन की घोषणा की है। इस कदम का स्वागत तो किया जा रहा है लेकिन आयोग में विस्थापितों की प्रत्यक्ष भागीदारी न होने पर गहरी नाराज़गी भी सामने आई है। चांडिल डैम विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो और चांडिल डैम विस्थापित संघर्ष समिति के सचिव विवेक सिंह 'बाबू' ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आयोग का गठन विस्थापितों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है लेकिन आयोग में विस्थापितों को शामिल न करना चिंता का विषय है। उन्होंने आशंका जताई कि पहले की तरह यह पहल भी केवल दिखावटी नीति बनकर रह न जाए। समिति ने आरोप लगाया कि पूर्व में बनी पुनर्वास नीति खोखली साबित हुई थी जहां विस्थापितों को उनके अधिकारों से वंचित कर दलालों और भ्रष्टाचारियों को फायदा पहुँचाया गया। अब नए आयोग में यदि वास्तविक विस्थापितों को शामिल नहीं किया गया तो यह फिर से शोषण का कारण बनेगा। विस्थापित समिति ने सरकार से मांग की है कि आयोग में केवल रेयती जमीन दाता विस्थापितों को स्थान दिया जाए। अन्यथा वे राज्यव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। समिति का कहना है कि विस्थापितों की भागीदारी के बिना आयोग का गठन अधूरा और निष्प्रभावी रहेगा।

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