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गैर आदिवासी सरकार संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि उत्थान के लिए आदेश दे सकती है तो आदिवासियों की अबुआ सरकार क्यों नहीं : बाबूराम सोरेन

रिपोर्ट: MANISH 27 दिन पहलेझारखण्ड

संथाली भाषा के उत्थान को लेकर सालगाडीह में सामाजिक कार्यकर्ता बाबू राम सोरेन ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

गैर आदिवासी सरकार संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि उत्थान के लिए आदेश दे सकती है तो आदिवासियों की अबुआ सरकार क्यों नहीं : बाबूराम सोरेन

चांडिल : वीर सिदो-कान्हू पब्लिक स्कूल सालगाडीह में बुधवार को संथाली शिक्षा देवी बिदु चांदना पूजा के शुभ अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता बाबू राम सोरेन के नेतृत्व में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बाबू राम सोरेन ने कहा कि संथाली भाषा को 2004 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था और सन् 1925 में गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू ने ओल चिकि लिपि का आविष्कार किया था। हालांकि 100 वर्ष पूरे होने के बाद भी न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार ने इसके उत्थान के लिए कोई ठोस कदम उठाया है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में संथाली भाषा और ओल चिकि लिपि को बढ़ावा देने के लिए कक्षा 1 से 5 तक शिक्षण शुरू करने, सरकारी कार्यालयों, थानों, अंचल और अनुमंडल कार्यालयों में ओल चिकि लिपि में नामकरण करने का आदेश दिया गया था। लेकिन वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार (झामुमो) ने इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है। उन्होंने सरकार से संथाली भाषा के उत्थान के लिए ठोस नीति बनाने, सरकारी विद्यालयों में शिक्षा शुरू करने और सरकारी कार्यालयों में ओल चिकि लिपि को अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में समाज के अन्य प्रमुख लोग भी उपस्थित थे।

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