भारतीय जादूगर गोगिया सरकार हज़ारीबाग़ में अपना मधुर मुस्कान से बिखेर रहे हैं रहस्यमय जादू
यहां के लोगों को खूब भा रहा है जादूगर गोगिया सरकार का जादू , बच्चे - बूढ़े उठा ख़ूब कर रहे हैं मनोरंजन

हजारीबाग - हज़ारीबाग़ के टाउन हॉल दर्शकों से खचाखच इन दिनों भरा नजर आ रहा है। दर्शकों के सहज होने के पूर्व ही एक सम्मोहक आवाज दर्शक दिर्घा में गूंजती है। गोगिया सरकार के जादू शो में आप का स्वागत है और शुरू होता है, साइकेडिक लाइट। दर्शक रंग-बिरंगी इन्द्रधनुषी प्रकाश समूहों के दृश्यावली और सुमधुर एक आवाज के साथ-साथ स्वप्निल दुनिया में प्रवेश करते जाते हैं। सहशा दर्शक मंच पर मद्धिम से तेज होते प्रकाश बिम्ब को देखते हैं। और देखते हैं आवारा बादलों का रंगमंचिय आकाश पर मंडराते, मानो सावन की फुहार होने वाली हो।
स्वपिनल संसार को रचता, हज़ारीबाग़ में गोगीया सरकार का जादू
दर्शक सामने मंच पर एक विशाल जादू इतिहास की पुस्तक देखते हैं। उस पुस्तक का एक-एक पृष्ट पलटता जाता है। इन पृष्ठों पर विश्व के नामी-गिरामी जादूगरों की तस्वीरें दिखती हैं। अंत में एक पृष्ट खाली है, कि आखिरकार प्रसिद्ध भारतीय जादूगर कौन है, जिसकी छवि जादुई विश्व पटल पर उभरने वाली है। एक-एक कर जादुई इतिहास की पुस्तक का पृष्ठ बन्द होता जाता है। पुनः जब पृष्ठ खुलता है तो उन पृष्टों के बीच से उभरता भारतीय जादूगर गोगिया सरकार सजीव संदेह मधुर मुस्कान बिखेरता बाहर आते है।इतिहास के पृष्टों से बाहर निकल गोगिया सरकार दर्शकों का अभिवादन अपने मनमोहक अदा में करते हैं कि अचानक उनके खाली हाथ में एक लम्बी सी जादू की छड़ी आ जाती है । जादुई छड़ी से दर्शकों को सम्मोहित करने के बाद दर्शकों से मुखातिब होने के क्रम में, काम रूप देश की चर्चा में वहाँ से प्राप्त जादुई कलश का परिचय देते है। दर्शक देखते हैं, जादुई कलश पूरी तरह से खाली है।
लेकिन दर्शक तब आश्चर्य चकित हो जाते है जब एक सुन्दरी उस खाली कलश से प्रकट होती है। अरे! यह क्या ? एक-एक कर पांच-पांच जादुई सुन्दरियाँ प्रकट होती हैं, उस खाली कलश से, और शुरू हो जाता है जादूगर गोगिया सरकार का एक से बढ़कर एक आश्चर्यजनक किन्तु सत्य चमत्कारों का सिलसिला। दर्शक जादू सुन्दरियों की अदाओं के आनन्द में ऊब डूब होते रहते हैं कि गोगिया सरकार आनन्द के सम्मोहन को तोड़ते एक जिन्दा लड़के को सबके आँखों के सामने दो टुकड़ों में काटने की घोषणा करते हैं। दर्शकों के बीच स्तब्धता छा जाती है। मंच पर टेबुल लगा है। एक लड़का सहमा सहमा मंच पर आता है। जादूगर गोगिया उसे सम्मोहित कर उसमें शरीर को ब्लडलेश करते हैं, क्यों कि भारतीय रंगमंच पर किसी प्रकार का खून-खराबा करना सख्त मना है। दो अन्य सहायकों की मदद से उस सम्मोहित लड़के को टेबुल पर लिटा, हाथ आरे से लकड़ी की तरह दो टुकड़ों में काट कर अलग-अलग कर देते हैं।
लइका चिखता-चिल्लाता है फिर शान्त हो जाता है और दर्शक भय-रोमांचित सिहरण के साथ अवाक साँसे अटक सी जाती है, दर्शको की दर्शकों के बीच हलचल तब होती है जब जादूगर गोगिया सरकार उस अलग-अलग टुकड़े में बँटे लड़के को पुनः जोड़ कर जिन्दा करते है, और वह लड़का जब दर्शकों का अभिवादन करता हैं, तब दर्शकों की रूकी सांसे सामान्यगति से चलने लगती है।
इसके अतिरिक्त जिन्दा लड़की को दो अलग-अलग भागों में बंटता देखना, जिन्दा लड़की के सर को अलग करें दस फुट दूर रखे टेबुल पर रखना और उसका जिन्दा रहना जहाँ क्रूरता पूर्ण रहस्यात्मकता से दर्शक अभिभूत होते हैं। वही जिन्दा लड़की का सर नीचे आता है तो हाथ उपर चला जाता है। हाथ नीचे आता है तो सर उपर हाथ और हाथ का फुल स्थिर होता है तो लड़की का सर घिरनी की भाँती नाचने लगता है। इसे देख दर्शकों की अटकी साँसे से खुशियों का फव्वारा छूट पड़ता है।