आजीविका मिशन जुड़ पशु सखी बन महिलाए बन रही आत्मनिर्भर
मलोती पहाड़िंन आजीविका पशु सखी का काम तो कर ही रही हैं वह खुद एक पशुपालक भी हैं।

हिरणपुर। पाकुड़ में महिलाओं को सशक्तीकरण की दिशा में आजीविका पशु सखी एक उभरता हुआ रोजगार परख मिशन साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इस काम से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। वहीं आजीविका पशु सखी की मदद से पशुपालन में जुटे किसानों को बड़ी सहायता मिली है, इनकी सहायता से पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है, साथ ही पशुओं की मृत्यु दर में भी काफी कमी आयी है। जिले के ग्रामीण इलाकों में आजीविका पशु सखी का काम महिलाओं के बीच रोजगार का एक अच्छा अवसर बनकर उभरा है। पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड में ग्रामीण विकास विभाग पलाश झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा संचालित ग्राम संगठन से जुड़ी आजीविका पशु सखी मलोती पहाड़िन्न को स्थानीय लोग डॉक्टर दीदी भी कहते हैं। आसपास के कई गांव में घूम घूम कर मलोती बकरी, मुर्गी और बत्तख समेत कुछ अन्य जानवरों की डॉक्टरी जांच करती हैं और प्राथमिक इलाज भी करती हैं जिसका लाभ पशुपालकों को मिल रहा है। मलोती पहाड़िंन आजीविका पशु सखी का काम तो कर ही रही हैं वह खुद एक पशुपालक भी हैं। अच्छी खासी संख्या में इनके घर पर देसी मुर्गी, बतख, और बकरी पालन किया जा रहा है। ऐसा करके वे अपने घर को आर्थिक रूप से सुदृढ़ भी बना रही हैं। पशु पालक और पशु सखी की भूमिका निभा रही मालोती पहाड़िन्न्न के घर की माली हालात में काफी सुधार हुआ है। उनके पति खुद कृषि कार्य करते हैं और समय-समय पर पत्नी को भी सहयोग करते हैं। जिले में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में पशुपालन एक उभरता हुआ व्यवसाय साबित हो रहा है। ऐसे में पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और मृत्यु दर को कम करने की दिशा में आजीविका पशु सखी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं!
इस संबंध में हिरणपुर की प्रखंड प्रमुख रानी सोरेन का कहना है कि ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में विभाग कम कर रहा है। पशु सखी बनकर महिलाएं न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रही है बल्कि अपने परिवार को आर्थिक रूप से भी सशक्त कर रही है।