नीमडीह में एक ही दिन विवाह, प्रमाणपत्र निर्गत और सेविका की नियुक्ति, प्रशासनिक और ग्रामसभा प्रक्रिया पर उठे सवाल
बिना आधार कार्ड, बिना दस्तावेज के सेविका की नियुक्ति, ग्राम सभा की प्रक्रिया सवालों के घेरे में

नीमडीह : सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड के बांदु गांव में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है जहां गौरांग महतो नामक युवक का एक ही दिन में दो शादियों के आमंत्रण पत्र, पत्नी के नाम पर सरकारी प्रमाणपत्र निर्गत और उसी दिन सेविका के रूप में नियुक्ति ने पूरे प्रशासनिक सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की शुरुआत तब हुई जब नवसृजित आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका के पद पर नियुक्त हुई माधुरी महतो की स्थानीयता को लेकर ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रामसभा के दिन ही माधुरी महतो को गांव की स्थायी निवासी दर्शाते हुए वंशावली, जाति, आवासीय और आय प्रमाणपत्र निर्गत कर दिए गए जबकि उसी दिन उनका विवाह हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि गौरांग महतो के नाम पर दो अलग-अलग विवाह आमंत्रण पत्र सामने आए हैं एक में वधू का नाम विना पानी महतो और दूसरे में माधुरी महतो है। इन दस्तावेजों ने यह स्पष्ट किया कि विवाह और नियुक्ति की प्रक्रिया को एक ही दिन में निपटाया गया जो नियमों के विरुद्ध प्रतीत होता है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि इससे पहले हुई ग्रामसभा में रोशनी महतो का चयन किया गया था जिसे बाद में कोरम अधूरा बताकर निरस्त कर दिया गया और नई ग्रामसभा बुलाकर मनमाने ढंग से माधुरी महतो का चयन कर लिया गया। इस पूरे मामले में सीडीपीओ विभा सिन्हा ने चयन को मेरिट के आधार पर सही बताया लेकिन अंचलाधिकारी अभिषेक कुमार ने साफ किया कि बिना आधार कार्ड के किसी भी आवेदक को प्रमाणपत्र जारी करना नियमविरुद्ध है और उन्होंने जांच का भरोसा दिलाया है। गौरतलब है कि ग्रामसभा के ठीक पहले गौरांग महतो की दो विवाह, उसी दिन प्रमाणपत्र निर्गत और उसी दिन नियुक्ति की तीनों घटनाएं इस पूरे चयन प्रक्रिया को संदेह के घेरे में ला रही हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है और चाहते हैं कि ग्रामसभा की पुनरावृत्ति कर योग्य उम्मीदवार का चयन किया जाए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतता है।