हवलदार प्रबोध महतो विपरीत परिस्थितियों व दुर्गम चोटियों पर दुश्मनों का सामना कर देश के लिए हुए शहीद : संजय यादव
कारगिल में शहीद प्रबोध महतो की मनाई गई शहादत दिवस

तुकबेरा में आयोजित कार्यक्रम में दी गई श्रद्धांजलि, पौधारोपण कर किया नमन
नावा बाजार (पलामू) : थाना प्रभारी संजय कुमार यादव ने कहा कि शहीद हवलदार प्रबोध महतो ने विपरीत परिस्थितियों व दुर्गम चोटियों पर दुश्मनों का सामना कर देश का गौरव बढ़ाया। उक्त बातें नावा बाजार थाना के प्रभारी संजय कुमार यादव ने कही। वे नावा बाजार प्रखंड के तुकबेरा में कारगिल शहीद हवलदार प्रबोध महतो उर्फ प्रबोध पाल की शहादत दिवस समारोह में बोल रहे थे। थाना प्रभारी ने कहा कि शहीद प्रबोध महतो की शहादत केवल इतिहास का हिस्सा नहीं बल्कि हर भारतीय के दिल की धड़कन में बसी हुई है। मौके पर सब इंस्पेक्टर चिंटू कुमार ने कहा कि कारगिल की बर्फीली चोटियों पर जिस जज़्बे व हिम्मत से उन्होंने दुश्मनों को मात दी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी। सब इंस्पेक्टर विक्की कुमार ने कहा कि शहीद प्रबोध महतो देश के लिए शहीद हुए हैं। उनकी कुर्बानी को नहीं भूलनी चाहिए। युवा इनसे प्रेरणा लें। बसपा नेता राजन मेहता ने कहा कि शहीद हवलदार प्रबोध महतो की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भाजपा नेता शंकर यादव ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी शहीद ने हिम्मत नहीं हारी व दुश्मनों को परास्त कर तिरंगा लहराया। कार्यक्रम के अध्यक्ष कपिलदेव ठाकुर ने कहा कि शहीद की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने शहीद के कृतित्व पर प्रकाश डाला। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ शहीद प्रमोद महतो की याद में 2 मिनट का मौन रखकर किया गया। इसके पश्चात उपस्थित सभी लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद की याद में सामूहिक रूपसे आम व अमरूद के पौधे लगाए गए। इस अवसर पर शहीद की पत्नी पुष्पम देवी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। बताते चलें कि प्रबोध महतो उर्फ प्रबोध पाल का जन्म 10 दिसंबर 1962 को नावा बाजार प्रखंड के तुकबेरा ग्राम में हुआ था। वे चंद्रिका महतो के पुत्र थे। 30 जून 1982 को भारतीय सेना में भर्ती हुए व 6 सितंबर 1999 को कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे। 11 सितंबर 1999 को पठानकोट में सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि कारगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले इस वीर शहीद की शहादत से इलाके के लोग लंबे समय तक अनजान रहे। बाद में स्थानीय स्वतंत्र पत्रकार नसीब खलीफा ने विभिन्न अखबारों के माध्यम से उनकी गाथा को उजागर किया, जिसके बाद लोग गर्व महसूस करने लगे। शहीद की पत्नी वीरांगना पुष्पम देवी ने कठिन परिस्थितियों में भी अपने तीन बेटियों व एक बेटे को पढ़ा-लिखा कर सफल बनाया। वीरांगना पुष्पम देवी ने कहा कि यह उनके पति के बलिदान की प्रेरणा ही थी, जिसने परिवार को मजबूती दी। मौके पर अशोक भुइया, सुरेंद्र पाल, निरंजन पाल, पूर्व प्रमुख रविंद्र पासवान, गोविंद पासवान, धर्मेंद्र ठाकुर, साहब कलामुद्दीन अंसारी, सत्या मेहता, रविंद्र नाथ ठाकुर, पूर्व मुखिया मुन्ना भुइयां, सुरेश मेहता, सुनील पाल, अशोक पाल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होकर शहीद को नमन किया।
शहीद का बनें स्मारक : वीरांगना पुष्पम
दिल्ली के इंडिया गेट पर शहीद का नाम अंकित है। परंतु गांव में ना कोई स्मृति चिन्ह है और ना ही स्मारक। शहीद की स्मृति में स्मारक बनें। शहीदों का बलिदान केवल उनके परिवार का नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र का होता है। इसलिए समाज को सदैव प्रेरणा देने के लिए स्मारक का निर्माण आवश्यक है।
पालामूवासी भी नहीं जानते शहीद प्रबोध महतो की शहादत
यह अजीब विडंबना है कि पलामू जिले के लोग भी प्रबोध महतो की शहादत को नहीं जानते। इसका कारण है कि शहीद के नाम पर न तो कोई स्मारक बनवाया गयाऔर ना ही उनके गांव का विकास किया गया।