हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. प्रवीण सिद्धार्थ ने किया कमाल, 13 साल के बच्चे का दो हिस्से में कटे पैर को जोड़ा
पैर के साथ डाक्टर प्रवीण सिद्धार्थ ने बच्चे की बचाई जान

5 घंटे देर से अस्पताल आने के कारण बच्चे की स्थिति हो गई थी नाजुक कई अस्पतालों में जवाब दिए जाने के बाद परिजनों ने निर्मला मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में कराया भर्ती शैलेंद्र तिवारी मेदिनीनगर (पलामू) : सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल 13 वर्षीय बालक अंकित के लिए सर्किट हाउस के ठीक सामने निर्मला मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर के संचालक हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सिद्धार्थ धरती के भगवान के रूप में इलाज कर पैर व जान बचाई। सड़क दुर्घटना में अंकित का दायां पैर दो भाग में हो गया था। केवल पिछले भाग की चमड़ी के सहारे पैर लटका हुआ था।
कई अस्पतालों से जवाब मिलने के बाद परिजनों ने बालक को डॉक्टर प्रवीण सिद्धार्थ के पास लाया। 5 घंटे की देरी के बाद अस्पताल में लाए गए घायल बालक को डॉक्टर प्रवीण सिद्धार्थ ने चैलेंज के रूप में लिया। पैर में गंभीर चोट, लटका हुआ पैर, खुले घाव, खून की काफी रिसाव के साथ ब्लड प्रेशर काफी को हो गया था। आनन फानन में डॉ प्रवीण सिद्धार्थ ने ओटी रूम तैयार कराया। साथ ही ऑपरेशन शुरू किया। उन्होंने देखा कि पैर पर की सारी हड्डियां बाहर थी। हड्डियों के कई टुकड़े हो गए थे। कई टुकड़े सड़कों पर गिर गए थे। खून की नालियों में कोई प्रभाव नहीं था। कोई भी नली का पता नहीं चल पा रहा था। ऐसे में पैर काटने की जगह उन्होंने बच्चों की जान के साथ-साथ पैर का ऑपरेशन कर जोड़ना बेहतर समझा।
डॉ प्रवीण सिद्धार्थ ने बालक का मैसिव सर्जरी सहित दो सर्जरी किया। इस क्रम में उन्होंने सारे वेसल्स को रिकंस्ट्रक्ट किया व छोटी-छोटी नलियों को वापस जगह पर लाया। साथ ही हड्डियों को जगह पर लाकर अंदर से फिक्स कर दिया। इस तरह मध्य रात्रि से सुबह तक किए गए ऑपरेशन में दो टुकड़ों में बंटे हुए पैर को जोड़ा गया। साथ ही बच्चे की जान की बचाई गई।
पूछे जाने पर डॉक्टर प्रवीण सिद्धार्थ ने कहा कि ऑपरेशन के क्रम में बच्चों को होश में रखा था। वह बार-बार कह रहा था कि डॉक्टर पैर नहीं कटिएगा। उन्होंने बालक को भरोसा दिया कि किसी भी हालत में पैर नहीं कटेंगे। इसे जोड़कर तुम्हें चलाएंगे। उन्होंने कहा कि बालक के पैर को जोड़ने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो गई थी। बावजूद उन्होंने इसे चैलेंज के रूप में लिया। ईश्वर ने साथ दिया और ऑपरेशन सफल रहा।
उन्होंने कहा कि अक्सर लोग निर्णय लेने, समझने व किसी विशेष व्यक्ति की सलाह लेने में अक्सर देर कर देते हैं। इस कारण संबंधित अंग के साथ-साथ जान को बचा पाना संभव नहीं हो पता है। मरीज गोल्डन टाइम को खो देता है।इसके कारण मरीज के साथ अनहोनी हो जाती है। उन्होंने कहा कि कई अस्पतालों ने बालक को जवाब दे दिया था। उन्होंने कहा कि बच्चों की स्थिति नाजुक थी। रांची ले जाने के क्रम में बच्चा लातेहार भी पार नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि जब भी इस तरह की घटना घटे समय गंवाए रोगी को किसी भी संबंधित चिकित्सक के पास जरुर पहुंचाना चाहिए।