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झारखंड में नवजात की तस्करी का पर्दाफाश, सात दिन के शिशु की डील, पुलिस ने बचाया मासूम

रिपोर्ट: VBN News Desk5 घंटे पहलेझारखण्ड

2 लाख की सौदेबाज़ी में पिता को मिले 58 हजार, गढ़वा-पलामू रूट पर शिशु बिक्री का नेटवर्क उजागर

झारखंड में नवजात की तस्करी का पर्दाफाश, सात दिन के शिशु की डील, पुलिस ने बचाया मासूम

गढ़वा : झारखंड के गढ़वा जिले से सामने आया नवजात शिशु की अवैध बिक्री का मामला मानव तस्करी के खिलाफ कानूनों की गंभीर परीक्षा बन गया है। डंडा प्रखंड के चप्परदाग गांव निवासी बसंत चौधरी ने अपने ही सात दिन के नवजात को बिचौलियों के माध्यम से बेच दिया। पुलिस के अनुसार बिचौलिये ने खरीदार से 2 लाख रुपये वसूले जबकि पिता को मात्र 58 हजार रुपये दिए गए, यह अंतर संगठित शिशु तस्करी की आशंका को मजबूत करता है। सूचना मिलते ही डंडा थाना प्रभारी दिलीप कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। शनिवार को पलामू जिले के रेडमा इलाके में छापेमारी कर नवजात को सुरक्षित बरामद किया गया। बच्चे को खरीदने वाली एक महिला को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है जबकि बच्चे को बेचने वाले पिता को भी थाने बुलाया गया है। बरामद शिशु को तत्काल चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के सुपुर्द किया गया जहां से आवश्यक कागजी प्रक्रिया के बाद उसे सदर अस्पताल, गढ़वा भेजा गया ताकि स्वास्थ्य जांच और उपचार सुनिश्चित किया जा सके। पुलिस के अनुसार पिता ने पूछताछ में बताया कि परिवार में पहले से तीन बच्चे हैं और चौथे बच्चे को लेकर दबाव व लालच के बीच उसने यह कदम उठाया। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस सौदे में कितने बिचौलिये शामिल थे और क्या यह कोई संगठित नेटवर्क है। बच्चे की मां की मानसिक स्थिति ठीक न होने की बात सामने आई है जिसे भी जांच में संज्ञान में लिया गया है। कानूनी दृष्टि से यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। शिशु की खरीद-फरोख्त, मध्यस्थता और लाभ कमाने की कोशिश मानव तस्करी से जुड़े अपराध माने जाते हैं जिनमें कड़ी सजा का प्रावधान है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और नेटवर्क के हर कड़ी तक पहुंच बनाई जाएगी। प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना दें। यह कार्रवाई बताती है कि समय पर सूचना और त्वरित पुलिस हस्तक्षेप से मासूम जानें बचाई जा सकती हैं और शिशु तस्करी जैसे अपराधों पर निर्णायक प्रहार संभव है।

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