कल्याण विभाग में हुई 12 करोड़ की फर्जीवाड़े में पाकुड़ पुलिस की तफ्तीश शुरू, तीन कर्मी को हिरासत ले पूछताछ जारी
कर्ई और कर्मी के साथ बैंक कर्मी भी रडार पर....

अजय कुमार पाकुड़। कल्याण विभाग के फर्जी एडवाइस के सहारे एसबीआई बैंक से 12 करोड़ 66 लाख की निकासी के मामले में पाकुड़ पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी है। शनिवार को टाउन थाना के इंस्पेक्टर बबलू कुमार इस मामले में कल्याण विभाग के तीन कर्मी से दो दिनों से पूछताछ कर रहे है। थाना प्रभारी बबलू कुमार शनिवार को जिला कल्याण कार्यालय में पहुंचकर कल्याण पदाधिकारी अरुण एक्का से उनके कार्यालय कक्ष में घंटे देर तक उनसे इस मामले में पूछताछ की।निर्देशक से मामले की जानकारी लिया।
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करोड़ों की फर्जी निकासी मामले में तीन पन्नों की शिकायत कल्याण पदाधिकारी ने नगर थाने में केश दर्ज कराया है। अरुण कुमार एक्का ने इस मामले में कहा है कि पिछले साल 2024 के नवंबर महीने से अब तक के बैंक रिकॉर्ड की बारीकी से जांच हुई है। जिसके आधार पर 12 करोड़ 66 लाख 33 हजार 600 रुपए की फर्जी निकासी की बात सामने आई है। इससे पूर्व में भी अगर फर्जी निकासी हुई होगी तो रिकॉर्ड देखने के बाद ही पता चल पाएगा।
उन्होंने बताया कि फर्जी एडवाइस के जरिए निकासी मामले में कहीं ना कहीं बैंक भी दोषी है। बैंक के देखरेख में ही पैसे की सारी निकासी हुई है। इसमें बैंक कर्मियों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।उन्होंने ने यह भी बताया कि जो आउट सोर्सिंग कर्मी है, तत्काल उनकी संविदा रद्द की कार्रवाई की जा रही है और जो विभागीय कर्मचारी है उन पर विभागीय कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि कुल 27 लोगों के नाम एफआईआर के लिए डाला गया है और कई के नाम नहीं दिए गए हैं। जिनके नाम नहीं है, उनकी भूमिका की जांच हो रही है।
पुलिस हिरासत में कल्याण विभाग के तीन कर्मचारी...
इस मामले में तीन कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है। कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट, कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा और अनुसेवक अक्षय कुमार रविदास को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस की पूछताछ में कई मामलों का उजागार होगा।
पैसा निकासी का क्या है मामला... यह मामला 8 दिसंबर को उस वक्त सामने आया जब कार्यालय के कर्मी एसबीआई के मेन ब्रांच आईटीडीए का फर्जी एडवाइस लेकर निकासी के लिए पहुंचे। एसबीआई मेन ब्रांच के मैनेजर अभिनव कुमार ने विभागीय अधिकारी को दूरभाष पर जानकारी दिया कि उनके द्वारा भेजे गए एडवाइस में हस्ताक्षर और बैंक रिकॉर्ड में हस्ताक्षर से मिलान नहीं हो रहा है। प्रबंधक ने यह भी बताया कि एडवाइस लेकर बैंक पहुंचा कर्मचारी अक्षय रविदास संदिग्ध लग रहा है। हस्ताक्षर संदिग्ध पाए जाने के तुरंत बाद विभाग का कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट और फिर कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा बैंक पहुंचे। अधीक्षक एडवाइस को अपने साथ ले गए और दूसरा एडवाइस लेकर आने की बात कहकर निकल गए। इधर शाखा प्रबंधक लगातार पदाधिकारी से संपर्क में थे। जबकि झा ने बैंक कर्मियों से कहा कि पदाधिकारी आवास चले गए हैं। इससे बैंक प्रबंधक का शक और बढ़ गया। इसके बाद पूछताछ का दौर शुरू हुआ। कड़ाई से पूछताछ में सब-कुछ खुलासा हो गया। हालांकि पकड़े जाने के दर से उन कर्मियों के द्वारा एडवाइस को फाड़ भी दिया गया था। इस बात को लंबे समय तक कड़ाई से पूछताछ के बाद कर्मियों ने एडवाइस फाड़ देने की बात को स्वीकार किया। इन कर्मचारियों की मिलीभगत से विभाग के खाता संख्या 11440445629 से 12 करोड़ 66 लाख 33 हजार 600 रुपए की फर्जी निकासी का खुलासा हुआ है।
इन्हें सौंपा गया था जांच का जिम्मा.... इस गड़बड़ी की जांच विभाग के कर्मी राकेश रंजन सोरेन, मो. तहसीन और मो. ईर्तिका के द्वारा की गई। जिसमें कई एडवाइस में दर्ज पत्र संख्या, तिथि और निर्गत पंजी आपस में मेल नहीं खा रहे थे। इसी आधार पर गड़बड़ी की पुष्टि हुई।
इन लोगों के खिलाफ हुआ एफआईआर.... फर्जी एडवाइस के जरिए करोड़ों की निकासी मामले में जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है, उनमें कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा, कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट, अनुसेवक अक्षय रविदास, अन्य खाताधारी, लाभुक, फर्म, मुकेश कुमार, मिथु कुमार झा, मिंटू कुमार मिश्रा, शिव इंटरप्राइजेज, विप्लव साहा, वीणा देवी, निरंजन कुमार मिश्रा, पूर्णिमा कुमारी, पूजा कुमारी, प्रीतम कुमार झा, प्रदीप कुमार झा, प्रताप रविदास, मनीषा मुर्मू, ज्ञानी देवी, राजेश कुमार दास, संगीता कुमारी, साहा इंटरप्राइजेज, चंदा देवी, अरुण कुमार गुप्ता, अमित कुमार अमर, आदित्य कुमार कश्यप, गौरव कुमार और लालू भास्कर का नाम शामिल हैं। इनके खिलाफ बीएनएस की धारा 316 (4), 316 (5), 318 (4), 336 (3), 338, 61 (2), 3 (5) के कांड संख्या 319/25 दर्ज किया गया है।
आरोपी प्रताप रविदास की गिरफ्तारी से हो सकता है और बड़ा खुलासा... कल्याण विभाग में 12 करोड़ 66 लाख की फर्जी निकासी मामले में आरोपी बनाया गया प्रताप रविदास के भाई धर्मनाथ एक वक्त कल्याण विभाग में अधिकारी का खासम खास हुआ करता था। चर्चा है कि धर्मनाथ ने ही अपने सगे भाई प्रताप रविदास के खाते में पैसा डलवाया है। इसके अलावे प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया राजेश कुमार दास, संगीता कुमारी, अक्षय कुमार, पूर्णिमा सभी आपस में सगे संबंधी है। चर्चा यह भी है कि आज धर्मनाथ कोलकाता जैसे महानगर में कई रेस्टोरेंट, बीयर बार व डांस बार का कारोबार संभाल रहा है। इस पूरे फर्जीवाड़ा का प्रताप रविदास की गिरफ्तारी से पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हो जाएगा।
बैंक की भूमिका मानी जा रही है संदिग्ध.... कल्याण विभाग की कार्यालय के समीप स्थित एसबीआई के मेन ब्रांच से ही कल्याण विभाग का एडवाइस पर राशि का भुगतान और पेमेंट होता रहा है। बैंक का रूल है कि किसी भी ऑथराइज्ड के द्वारा किसी को 50 हजार से अधिक का भुगतान किया जाता है तो भुगतान के पूर्व ऑथराइज्ड जिनके द्वारा एडवाइस भेजी गई है या जिनके द्वारा चेक काटी गई है बैंक एक बार उनसे कंफर्मेशन करता है कि क्या उनके द्वारा चेक या एडवाइस भेजी गई है या नहीं। लेकिन यहां पर अंतिम समय में पूरे साल में भुगतान होता रहा। जब 12 करोड़ से अधिक की निकासी हो गई तब बैंक ने इस मामले का ध्यान जिला कल्याण पदाधिकारी के संज्ञान में लाया। जो अपने आप में जांच का विषय है। फिल्म मामला पाकुड़ में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले की गहराई से तफ्तीश की जाए तो 12 करोड़ का फर्जी निकासी कहीं दो गुना या तीन गुना से भी अधिक होने की संभावना जताई जा रही है। इधर एसपी निधि त्रिवेदी ने कहा है कि नगर थाने में कल्याण विभाग में पैसे की निकासी मामले में ट्रेनी डीएसपी अजय आर्यन को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई है। इस मामले में जो भी कर्मी या बैंक कर्मी की संलिप्तता सामने आएगी उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।