पलामू एसपी नहीं है प्रोफेशनल, मेरे प्रति हैं मालाफाइड : केएन त्रिपाठी
त्रिपाठी ने कहा : पलामू एसपी का सामाजिक तत्वों से है लगाव, एसपी से है मुझे जान का खतरा

मेदिनीनगर (पलामू) : मेरी मां टिफिन देती है तो मैं टिफिन से रोटी में भुजिया लपेटकर अपने सुरक्षा गार्ड को खिलाता हूं। क्योंकि वे मेरे सबसे नजदीकी होते हैं। ऐसे में मैं अपने सुरक्षा गार्ड की पिटाई व जाति सूचक गाली कैसे दे सकता हूं। पिछले दिनों मेदिनीनगर से रांची जाने के क्रम में लातेहार में अपने सुरक्षा गार्ड के साथ दुर्व्यवहार करता, जाति सूचक गालियां देता या थप्पड़ मारता तो वे तुरंत एफआईआर कराते। पलामू एसपी उनके सुरक्षा गार्ड को मेदिनीनगर बुलवाकर सुरक्षा गार्ड के द्वारा मेरे ऊपर जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करने व थप्पड़ मारने के शून्य एफआईआर कराया है। ऐसे में मेरा मानना है कि पलामू एसपी प्रोफेशनल नहीं, मेरे प्रति मालाफाइड हैं। उक्त बातें सूबे के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने कही। वे मंगलवार को स्थानीय परिषदन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाया कि सुरक्षा गार्ड्स को लगातार चेंज कर भेजती रही हैं।
उन्हें पुख्ता सूचना है कि पलामू एसपी का असामाजिक तत्वों से लगाव है। एसपी से उन्हें जान को खतरा है। उन्होंने प्रश्न किया कि आखिर वे कौन असामाजिक तत्व हैं, जो उनकी जान लेना चाहते हैं। कहा कि एसपी ने डीजीपी से उनके बारे में गलत रिपोर्ट की है। कहा कि संबंधित सुरक्षा गार्ड उनके साथ जहां भी जाता, तुरंत लोकेशन शेयर करता रहता था। उसका आचार, विचार व व्यवहार संदिग्ध था। मना करने के बावजूद गलत कार्यों में संलिप्त था। कई बार उसे समझाया। लेकिन हरकत से वह बाज नहीं आता था। वह हिंसक जैसे एक्शन में आ जाता था। पूर्व मंत्री ने कहा कि संबंधित बॉडीगार्ड के प्रति जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल व थप्पड़ मारने जैसी हरकत वे किए होंगे, अगर कोई एविडेंस सामने लाए तो तुरंत राजनीतिक छोड़ देंगे।
पलामू एसपी के गलत निर्णय के कारण पलामू के दो बेटे हो गए शहीद : त्रिपाठी
पूर्वमंत्री केएन त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि पलामू एसपी के गलत निर्णय के कारण पलामू के दो बेटे शहीद हो गए। कहा कि वे सोमवार को शहीदों के घर गए थे। उनके परिजन व बच्चों से मिले। उनके बच्चों व परिजनों की स्थिति देख आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा- काश, एसपी ने गलत निर्णय नहीं लिया होता तो पुलिस जवान संतन मेहता व सुनील राम की जान नहीं जाती। उन्होंने कहा कि पलामू एसपी ने एसओपी का पालन नहीं किया। उन्होंने सवाल किया कि आखिर कैसे कोई एसपी 7-8 जवानों को नक्सली ऑपरेशन के लिए भेज सकता है। कहा कि उन्हें सूचना है कि नक्सली के खिलाफ अभियान की न तो मनातू थाना को इसकी जानकारी थी ना ही प्रशिक्षित जगुआर के जवानों को। एसओपी के मानदंड को पूरा किया जाता तो नक्सली अभियान के लिए प्रशिक्षित 50 जवान भेजती।
अगर ऐसा होता तो नक्सली बच नहीं पाते व पुलिस जवान मारे नहीं जाते। उन्होंने पुलिस एसोसिएशन की चुप्पी पर सवाल उठाया। आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि सब कुछ जानते हुए भी कि किसकी गलती के कारण दो जवान शहीद हुए हैं, बावजूद पुलिस एसोसिएशन चुप है। कहा कि पुलिस एसोसिएशन के लोग केवल एसपी से ट्रांसफर -पोस्टिंग कराने के लिए चुप्पी साध ली है। साथी एसपी को खुश करने में लगे हुए हैं। कहा कि उन्होंने मामले की जांच के लिए चीफ सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी व डीजीपी को पत्र लिखा है। जांच की टीम आएगी तो पूरा बयान वे रजिस्टर्ड कराएंगे।