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सरायकेला-खरसावां जिले में पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व क्षमता पर उठे सवाल, गम्हरिया थाना क्षेत्र में बढ़ी आपराधिक घटनाएं

रिपोर्ट: MANISH 3 दिन पहलेझारखण्ड

आरोप है कि जिले के अधिकांश थानों में एकीकृत बिहार पुलिस जैसी कार्यशैली अपनाई जा रही है

सरायकेला-खरसावां जिले में पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व क्षमता पर उठे सवाल, गम्हरिया थाना क्षेत्र में बढ़ी आपराधिक घटनाएं

गम्हरिया : सरायकेला-खरसावां जिले में अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जिले के पुलिस अधीक्षक मुकेश लुनायत के नेतृत्व क्षमता पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं खासकर जिले के विभिन्न थानों में पीड़ितों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर। आरोप है कि जिले के अधिकांश थानों में एकीकृत बिहार पुलिस जैसी कार्यशैली अपनाई जा रही है जहाँ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पीड़ितों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। सबसे अधिक परेशानी उन्हें हो रही है जो सरकारी या वन विभाग की जमीन पर झोपड़ीनुमा दुकानों में रोजगार चला रहे हैं या बेहद गरीब हैं। गम्हरिया थाना क्षेत्र के उषा मोड़ से लेकर टाटा स्टील गम्हरिया एक नंबर गेट तक ट्रक चालकों और मजदूरों की सहूलियत के लिए बनाई गई झोपड़ी दुकानों में चोरी, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं आम हो गई हैं। हाल की एक बड़ी घटना में टाटा स्टील गम्हरिया गेट के समीप तीन दुकानों में भीषण आगजनी की घटना हुई जिससे भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा उषा मोड़ पर स्थित बैजनाथ सिंह की दुकान में चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया। चोर उस्तरा और अन्य घातक हथियार लेकर पहुंचे थे जिन्हें चोरी के बाद दुकान में ही छोड़ दिया गया। इससे आशंका जताई जा रही है कि यदि कोई व्यक्ति उस वक्त दुकान में मौजूद होता तो उसकी हत्या कर दी जाती। पीड़ितों का आरोप है कि गम्हरिया थाना में घटना की जानकारी देने और शिकायत दर्ज कराने के बावजूद ना तो एफआईआर दर्ज की जाती है और ना ही कोई कार्रवाई की जाती है। इतना ही नहीं थाने में पीड़ितों के साथ सम्मानजनक व्यवहार भी नहीं किया जाता जिससे आम जनता का पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा है। जिले की कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए आवश्यक है कि जिला प्रशासन विशेष रूप से पुलिस अधीक्षक गंभीरता से मामले की जांच करें और पीड़ितों को न्याय दिलाने हेतु तत्काल प्रभाव से कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही गम्हरिया जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रात्रि गश्ती, सीसीटीवी निगरानी और सामुदायिक पुलिसिंग को मजबूत किया जाए ताकि आम जनता में सुरक्षा की भावना पुनः स्थापित हो सके।

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