वरिष्ठ पत्रकार कार्तिक कुमार की पुत्री दर्शना शिखर ने CLAT 2026 में रच दिया सफलता का इतिहास
पाकुड़ की बेटी की बड़ी उड़ान, पत्रकार पिता के संस्कार और बेटी की मेहनत ने दिलाई राष्ट्रीय पहचान

पाकुड़ : जिले के लिए यह क्षण गर्व, सम्मान और प्रेरणा से भरा हुआ है। जिले की होनहार छात्रा दर्शना शिखर ने देश की प्रतिष्ठित CLAT 2026 (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) परीक्षा में उत्कृष्ट रैंक हासिल कर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। दर्शना की यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि वे पाकुड़ के वरिष्ठ एवं जमीनी पत्रकार कार्तिक कुमार की पुत्री हैं जिनका पत्रकारिता में दशकों का संघर्ष, निष्पक्षता और सामाजिक सरोकारों से जुड़ा योगदान जिलेभर में जाना-पहचाना है।

दर्शना शिखर की सफलता केवल एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं है बल्कि यह अनुशासन, आत्मविश्वास और निरंतर परिश्रम की मिसाल है। उन्होंने बताया कि CLAT पास करना उनका वर्षों पुराना सपना था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने रोजाना करीब 15 घंटे तक पढ़ाई की। कठिन विषयों, लंबी तैयारी और मानसिक दबाव के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कई बार थकान और तनाव के क्षण आए लेकिन उन्होंने लक्ष्य से नजर नहीं हटने दी। दर्शना कहती हैं कि उनकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान उनके परिवार का है खासकर उनके पिता कार्तिक कुमार का। एक पत्रकार होने के नाते कार्तिक कुमार ने हमेशा समाज, शिक्षा और सच के महत्व को प्राथमिकता दी। वही संस्कार दर्शना के जीवन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ आत्मअनुशासन, समय प्रबंधन और सकारात्मक सोच को अपनी ताकत बनाया।

वरिष्ठ पत्रकार कार्तिक कुमार के लिए यह क्षण भावनाओं से भरा है। बेटी की सफलता पर उन्होंने कहा कि दर्शना ने केवल मेरा ही नहीं पूरे पाकुड़ जिले का नाम रोशन किया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में हम रोज़ दूसरों की सफलता और संघर्ष की कहानियां लिखते हैं लेकिन आज मेरी अपनी बेटी एक ऐसी कहानी बन गई है, जिस पर मुझे गर्व है। उन्होंने कहा कि दर्शना की यह सफलता साबित करती है कि छोटे जिले और सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं। पाकुड़ जैसे अपेक्षाकृत छोटे और पिछड़े माने जाने वाले जिले से निकलकर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में सफलता हासिल करना आसान नहीं होता। लेकिन दर्शना शिखर ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी भौगोलिक सीमा की मोहताज नहीं होती। सही मार्गदर्शन, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास हो तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं रहता।
दर्शना की इस उपलब्धि से जिले के विद्यार्थियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। शिक्षकों, पत्रकारों, सामाजिक संगठनों और आम लोगों ने उन्हें बधाइयां दी हैं। कई छात्रों ने इसे अपने लिए प्रेरणा बताया है। खासकर पत्रकार समुदाय में इस सफलता को लेकर गर्व का माहौल है कि एक पत्रकार की बेटी ने मेहनत और लगन से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। यह सफलता केवल एक छात्रा की नहीं बल्कि उस सोच की जीत है जिसमें शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार माना जाता है। दर्शना शिखर की यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदार हो तो सफलता निश्चित है। पाकुड़ की यह बेटी आज पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है।