आकाशवाणी केंद्र भूमि विवाद में प्रशासन बेनकाब, 43 साल पुराने डीड को चुनौती देने वाला तंत्र अब सवालों के घेरे में
डीसी के पत्र की नौ माह से अनदेखी, पिलर उखाड़े जाने की घटना से गहराया संदेह- क्या कोई अदृश्य तंत्र सक्रिय?

42 साल पुराने डीड से लड़ाई लड़ते राजीव बोले- मेरी जमीन पर पार्क भी बना, बाउंड्री भी खड़ी हुई, पर किसी विभाग के पास जवाब नहीं
आदित्यपुर में आकाशवाणी केंद्र के बाहर की 15.5 डिसमिल जमीन को लेकर पैदा हुआ विवाद अब जिले के कई विभागों की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े कर रहा है। वर्ष 1982 के डीड (2773/2794) पर आधारित निजी स्वामित्व के दावे को साबित करने के लिए राजीव कुमार वर्षों से आयडा, नगर निगम, आवास बोर्ड, भू-अर्जन शाखा, अंचल कार्यालय और अनुमंडल कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन इतने वर्षों में किसी विभाग ने न तो स्पष्ट जवाब दिया और न ही कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप कार्रवाई की।
जमीन पर कब्जे का आरोप, कानूनी प्रक्रिया शून्य
राजीव का आरोप है कि उनकी 7 डिसमिल जमीन पर आकाशवाणी केंद्र ने बिना किसी नोटिस, अधिग्रहण या मुआवज़े के बाउंड्री वॉल खड़ी कर ली जबकि 8.5 डिसमिल पर अवैध रूप से पार्क विकसित कर दिया गया। यह सब तब हुआ जब न राजस्व रिकॉर्ड बदला गया और न ही किसी विभाग द्वारा वैध हस्तांतरित दस्तावेज़ दिखाए गए। कानूनी नियमों के मुताबिक किसी भी निजी भूमि के अधिग्रहण के लिए नोटिस, मुआवज़ा निर्धारण, धारा 6 की अधिसूचना, कब्जा हस्तांतरण आदेश अनिवार्य है। इस मामले में इनमें से कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
नगर निगम की नोटिस ने विवाद को और उलझाया
22 नवंबर 2025 को नगर निगम ने राजीव को नोटिस देकर उनकी जमीन को सरकारी घोषित कर दिया। निगम के इस फैसले ने पूरे विवाद में नया मोड़ ला दिया क्योंकि न निगम प्रशासक आदेश की प्रति दिखा पाए, न यह स्पष्ट कर पाए कि यह भूमि किस आधार पर सरकारी घोषित की गई और न ही इस प्रश्न का उत्तर मिला कि जिस भूमि को वे सरकारी बता रहे हैं उसी पर वर्षों से राजीव से होल्डिंग टैक्स क्यों वसूला गया? राजीव का आरोप है कि निगम ने बिना राजस्व परीक्षण, बिना सीमांकन रिपोर्ट और बिना किसी विभागीय सर्वेक्षण के आदेश जारी कर दिया। इससे न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर बल्कि निगम की मंशा पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
डीसी के पत्र की अनदेखी
सरायकेला–खरसावां जिला उपायुक्त द्वारा पत्रांक 910, दिनांक 30/04/2025 के माध्यम से नगर निगम को भूमि विवरण से संबंधित जांच का निर्देश दिया गया था। लेकिन नौ महीने बाद भी उसकी कोई कार्रवाई सामने नहीं आई। यह तथ्य स्वयं बताता है कि मामला जानबूझकर फाइलों में दबाकर रखा गया।
अज्ञात लोगों द्वारा पिलर उखाड़े जाने से शक और गहराया
राजीव ने 14 मई 2025 के अंचल नोटिस के आधार पर, जब किसी भी विभाग ने आपत्ति नहीं दी, घेराबंदी शुरू की। लेकिन उसी शाम अज्ञात व्यक्तियों ने जमीन पर लगे पिलर और बोर्ड हटा दिए। राजीव का आरोप है कि यह काम सुनियोजित है और इससे यह संकेत मिलता है कि कोई न कोई प्रभावशाली तंत्र सक्रिय है जो उन्हें अपनी ही जमीन से बेदखल करना चाहता है।
विभागीय चुप्पी बनी सबसे बड़ी विसंगति
आवास बोर्ड ने कई पत्राचार के बावजूद विवरण नहीं दिया। भू-अर्जन शाखा ने कोई सूचना नहीं भेजी। अंचल और अनुमंडल कार्यालयों ने भी किसी तरह की स्पष्ट रिपोर्ट नहीं दी। राजीव कहते हैं कि इतने विभागों में फरियाद लगाने के बाद भी यदि किसी के पास जवाब नहीं है तो इससे साफ है कि पूरा तंत्र मामले को उलझाकर रखे हुए है।
हाईकोर्ट की शरण में राजीव
मामले की गंभीरता और प्रशासनिक उदासीनता को देखते हुए राजीव ने अब हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और मांग की है कि अदालत के अंतिम निर्णय तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। रविवार को उन्होंने आकाशवाणी केंद्र के प्रबंधक समेत अन्य पर आदित्यपुर थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है।
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की जमीन का विवाद नहीं बल्कि इस बात की ज्वलंत मिसाल है कि कैसे सरकारी विभागों की चूक, टालमटोल और अस्पष्टता जनता के वैध अधिकारों को रौंद सकती है।