पचवारा सेंट्रल व नॉर्थ कोल ब्लॉक के विस्थापितों का मुद्दा एसटी कमिशन में पहुंचा
आयोग ने लिया संज्ञान कहा- मुआवजा और बुनियादी सुविधाओं की होगी धरातलीय जांच

पाकुड़। पचवारा सेंट्रल और नॉर्थ कोल ब्लॉक से हुए विस्थापितों का मुद्दा शेड्यूल ट्राइब कमिशन भारत सरकार तक पहुंच गया है। शेड्यूल ट्राइब कमिशन ने कॉल ब्लॉक से विस्थापित हुए चार गांव के रैयतों के साथ रूबरू हो उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनकर गत 30 मई को पाकुड़ डीसी सहित पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन और वेस्ट बंगाल पावर कारपोरेशन के अधिकारियों को दिल्ली तलब कर उनके साथ बैठक की। हालांकि डीसी पाकुड़ का रिप्रेजेंट डीडीसी महेश कुमार संथालिया और जिला भू अर्जन पदाधिकारी अजय बड़ाइक बैठक में शामिल हुए थे।
आयोग की सदस्या आशा लकड़ा ने विस्थापित गांव चीलगो, तालझारी, आलूबेरा, डांगा पारा,पचवारा से पहुंचे रैयतों से सीधे मुखातिब हुई और उनकी बातों को गंभीरता से सुना। रैयतों द्वारा उन्हें बताया गया कि उनकी जमीन को बगैर मुआवजा दिए और ना ही बुनियादी सुविधा दिए ही कोयला का खनन का काम किया जा रहा है। जिससे हमारा संस्कृति और हमारी जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ गई है। जमीन का मुआवजा ओने पोने भाव में दी गई है और मुआवजा के नाम पर भी बैंक से राशि के भुगतान में हेरा फेरी कर पैसे का कंपनी के लोगों ने बंदरबांट और घपला कर लिया है। विस्थापितों की बातों को सुन आयोग की सदस्या आशा लकड़ा ने गंभीरता से लिया और कोल प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन को 15 दिनों के अंदर पुनः रैयतों की जमीन जो अधिग्रहण की गई है पुनः नापी कर मुआवजा का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है। कहा कि आयोग 15 दिनों के अंदर विस्थापितों के बीच पहुंचकर लोगों को दी गई मुआवजा और बुनियादी सुविधाओं से अवगत होगी और उसकी धरातलीय सच्चाई की जांच करेगी। इस बाबत जिला भू अर्जन पदाधिकारी अजय बड़ाइक ने बताया कि शेड्यूल ट्राइब कमीशन के साथ हुई 30 मई को बैठक में रैयतों का अधिग्रहण की गई जमीन का पुनः नापी का काम किए जाने का निर्देश आयोग से मिला है। उधर विस्थापितों का नेतृत्व कर रही विस्थापित आंदोलनकारी सह सामाजिक कार्यकर्ता मुन्नी हांसदा ने बताया कि पचवारा सेंट्रल और नॉर्थ कॉल ब्लॉक से विस्थापित लोगों का मुआवजा के नाम पर लूट खसोट की गई है। विस्थापितों को स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा, नौकरी, आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं से अब तक वंचित रखा गया है।पाकुड़ के अधिकारी कंपनी के पैरोल पर काम कर रहे हैं और विस्थापितों की बात को अनसुनी कर रहे हैं। अगर शीघ्र रैयतों, विस्थापितों को बुनियादी सुविधा के साथ साथ उन्हें जमीन का कोल बेरिंग एक्ट के नियमानुसार मुआवजा का भुगतान नहीं हुआ तो कोयले की खनन और ढुलाई स्थाई रूप से बंद कर दी जाएगी। आयोग के साथ 30 मई को संपन्न हुई बैठक में वेस्ट बंगाल पावर कारपोरेशन के सीएमडी टीवी सलीम, चंचल गोस्वामी ,पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर साकेत कुमार, डीबीएल के बृजेश कुमार सहित 40 से अधिक संख्या में रैयत उक्त बैठक में मौजूद थे।