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दुमका के काठीकुंड में ग्रामीणों ने बंद करायी कोयले की ढुलाई, कंपनी का जताया विरोध

रिपोर्ट: कार्तिक कुमार6 घंटे पहलेझारखण्ड

आंदोलन कर रहे लोगों ने कंपनी और प्रशासन से 11 सूत्री मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की है,

दुमका के काठीकुंड में ग्रामीणों ने बंद करायी कोयले की ढुलाई, कंपनी का जताया विरोध

दुमका:पाकुड़ जिले के पंचुवाड़ा स्थित कोल माइंस से दुमका रेलवे स्टेशन के पास अवस्थित रैक तक कोयला ढुलाई का विरोध शुरू हो गया है. ग्रामीणों ने रविवार से दुमका -पाकुड़ मुख्य मार्ग पर काठीकुंड प्रखंड मुख्यालय के चांदनी चौक के पास कोयला की ढुलाई कार्य को अनिश्चितकाल के लिए पूरी तरह से ठप कर दिया है. हालांकि इसमें सिर्फ कोयला वाहनों को रोका जा रहा है, अन्य वाहनों का आवागमन सामान्य दिनों के भांति जारी है.चांदनी चौक के समीप धरने पर बैठे ग्रामीण कोयला ढुलाई का कार्य बाधित होने से सड़क पर हाइवा और ट्रकों की लंबी कतार लग गई है.

शिवतला ग्राम प्रधान जोन सोरेन के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण काठीकुंड के चांदनी चौक के समीप धरने पर बैठ गए हैं. वहीं ग्रामीणों के विरोध-प्रदर्शन की सूचना मिलने के बाद काठीकुंड बीडीओ और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों की मांगों से अवगत हुए. इसके बाद पदाधिकारियों ने कोयला कंपनी पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) के अधिकारियों को धरना से अवगत कराया। पाकुड़ के पंचुवाड़ा स्थित कोल माइंस से दुमका रेलवे स्टेशन तक हो रही कोयला ढुलाई के खिलाफ यह आंदोलन काठीकुंड प्रखंड के चांदनी चौक पर शुरू हुआ, जहां ग्रामीणों ने पंडाल लगाकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।

तीन किलोमीटर तक लगी वाहनों की कतार आंदोलनकारियों ने कोयला लदे ट्रकों को धरना स्थल से पहले ही रोकना शुरू कर दिया है, इससे चक्का जाम से लगभग तीन किलोमीटर तक वाहनों की कतार लगी हुई है। आपको बता दें कि धरना स्थल से कुछ ही दूर पर दुमका पर दुमका सांसद नलीन सोरेन, और उनके पुत्र विधायक आलोक सोरेन जिला परिषद अध्यक्षा जोयस बेसरा का आवास है, ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें सांसद और विधायक का समर्थन है।

समास्या के समास्या होने तक जारी रहेगा आंदोलन ग्राम प्रधान कहते हैं कि धरने से पूर्व इस विषय को लेकर कई बार पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड को पत्राचार कर जनमानस की भावना और मार्गों से अवगत कराया गया था, लेकिन किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिली, अंततः आम जनों की समास्याओं का निदान नहीं होने के कारण कोयला वाहनों का चक्का जाम करने के लिए धरने पर बैठने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया जाता है तब तक रेल मंत्रालय द्वारा कोयला रैंक की आपूर्ति रोकी जाए और मांइस संचालन की अनुमति स्थगित की जाए। धरने पर बैठे लोगों ने बताया कि जनहित और पर्यावरण सुरक्षा के लिए किया गया यह अनिश्चितकालीन धरना तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक इसका ठोस निदान नहीं निकला जाता।

WBPDCL कंपनी पर मानकों की अनदेखी का आरोप ग्राम प्रधान जोन सोरेन ने कहा कि WBPDCL बिना भूमि अधिग्रहण और स्थानीय लोगों की अनुमति के बगैर आदिवासी जमीन का उपयोग कश्मीर कोयला खनन और परिवहन कर रही है, हर दिन लगभग 10 हजार ट्रकों से करीब 60 हजार टन कोयला इस मार्ग से ढोया जा रहा है, इस कारण सड़कों की हालत बदतर हो गई है, बल्कि भारी मात्रा में उड़ने वाली धुल और डीजल से पैदा होने वाला प्रदुषण लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है और दुर्घटनाओं में भी इजाफा हुआ है, यह कोयला परिवहन अव्यस्थित, असुरक्षित और अन्यायपूर्ण है। पचुवाडा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के बगैर तले आंदोलन कर रहे लोगों ने कंपनी और प्रशासन से 11 सूत्री मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की है, इनमें से मुख्य रूप से कोल माइंस से दुमका रेलवे साइडिंग तक अलग कोल काॅरिडोर का निर्माण हो, जब तक का काॅरिडोर न बने तब तक कोयला परिवहन सुबह 05 बजे से शाम 07 बजे तक बंद रखा जाए, समेत कई मांग शामिल हैं।

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