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बच्ची के गले में फंसा दो रुपये का सिक्का,डॉक्टर ने बचाई जान

रिपोर्ट: Ashwini kumar Ghai1 दिन पहलेझारखण्ड

इस्लामगंज मोहल्ले के स्व. सगीर आलम की पुत्री आठ वर्षीया पुत्री सबरीन परवीण खेलते समय गलती से दो रुपये का सिक्का निगल गई, जो उसके गले में फंस गया।

बच्ची के गले में फंसा दो रुपये का सिक्का,डॉक्टर ने बचाई जान

पलामू। जिले के हुसैनाबाद के अनुमंडलीय अस्पताल में मंगलवार को एक आठ वर्षीय बच्ची की जान डॉक्टर की तत्परता और कुशलता से बच गई। हुसैनाबाद शहर के इस्लामगंज मोहल्ले के स्व. सगीर आलम की पुत्री आठ वर्षीया पुत्री सबरीन परवीण खेलते समय गलती से दो रुपये का सिक्का निगल गई, जो उसके गले में फंस गया। बच्ची को सांस लेने में कठिनाई होने लगी, तो परिजन आनन फानन में उसे लेकर अनुमंडलीय अस्पताल हुसैनाबाद पहुंचे।

उस समय आपातकालीन ड्यूटी पर डॉ. विकास कुमार मौजूद थे। उन्होंने एक घंटे तक प्रयास किया, लेकिन सिक्का निकल नहीं पाया। इस बीच अनुमंडलीय अस्पताल में ही कार्यरत डा. मंजूर आलम से संपर्क किया गया। उस वक्त वे हैदरनगर आवास पर थे। उन्होंने तत्काल अस्पताल पहुंचकर गले का एक्स-रे कराकर सिक्का निकालने का प्रयास शुरू किया। मात्र दो मिनट के भीतर उन्होंने सफलतापूर्व गले से सिक्का निकाल दिया।

सिक्का बाहर निकलते ही बच्ची ने सामान्य रूप से सांस लेना शुरू किया, जिससे परिजनों को राहत मिली। उन्होंने डॉक्टर का धन्यवाद किया। परिजनों ने कहा कि डॉ. मंज़ूर आलम की तत्परता और विशेषज्ञता के कारण ही उनकी बच्ची की जान बच सकी है।

कैसे निकला सिक्का?

डा. मंजूर ने बुधवार को सफलतापूर्वक सिक्का निकालने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कॉलेज में पढ़ाई करते समय प्रशिक्षण के दौरान दो से तीन बार गले में फंसे सिक्के को निकाल चुके थे। इस कारण उन्हें इसका पुराना अनुभव था। बच्ची के नाक में पाइप डालकर उसमें पानी भर दिया गया एवं उसे जोर जोर से खांसने के लिए बोला गया। दो मिनट तक यह रेस्क्यू ऑपरेशन चला एवं सिक्का नार्मल पोजिशन से ही बाहर आ गया। डा. मंजूर ने कहा कि सिक्का अगर पांच का रहता तो अंदर चला जाता, लेकिन दो का सिक्का बड़ा था, इस कारण अटका रह गया। सिक्का के अंदर जाने पर शौच के रास्ते निकलने की संभावना रहती है, लेकिन तकलीफ काफी भी बढ़ जाती है।

बच्ची हो गयी थी रेफर

दरअसल, मंगलवार शाम बच्ची के गले में सिक्का अटकने के बाद उसे इलाज के लिए पहले निजी अस्पताल में ले जाया गया। वहां सफलता नहीं मिलने पर अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया। यहां डा. विकास ने प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिलने पर बच्ची को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया था। मंगलवार रात बच्ची के गले से सिक्का निकला।

डॉ. मंज़ूर आलम ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि छोटे बच्चे अक्सर खेलने के दौरान सिक्के, बटन या छोटी वस्तुएं मुंह में डाल लेते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं। अभिभावक बच्चों को ऐसे खिलौनों और वस्तुओं से दूर रखें और किसी भी आपातस्थिति में तुरंत अस्पताल पहुंचे।

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