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इको सेंसेटिव जोन में चल रहे दर्जनों अवैध क्रशर और पत्थर खदान

रिपोर्ट: मनीष 122 दिन पहलेझारखण्ड

पर्यावरणीय क्षति के साथ राजस्व का भी नुकसान

इको सेंसेटिव जोन में चल रहे दर्जनों अवैध क्रशर और पत्थर खदान

Saraikela :हाथी के लिए प्रसिद्ध दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी का अस्तित्व अब खतरे में नज़र आ रहा है। कारण कि यहां क्षेत्र के पत्थर माफिया पर्यावरण को नष्ट कर लोगों के जीवन से खेल रहे हैं. पत्थर माफियाओं द्वारा दलमा और आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन कर जगह जगह सैंकड़ों फीट गड्ढा कर दिया गया है, जिससे कि यहां खेती तो दूर की बात अब दलमा पहाड़ पर भी संकट गहराने लगा है। खेती-बाड़ी कम होने के कारण यहां के गरीब पत्थर खादानों और क्रेशर में मजदूरी करने को विवश हैं। क्रशर व खदानों में काम करने वाले मजदूरों की टीबी, कैंसर, दमे जैसे बीमारी से असमय मौत हो जाती है. जानकारी होते हुए भी क्षेत्र के गरीब पत्थर खदानों में काम करने को मजबूर हैं. इको सेंसेटिव जोन क्षेत्र में जहां वन विभाग द्वारा वैध व अवैध क्रशर मशीनों के अलावा पत्थर खनन कार्य को भी बंद दिखाया जाता रहा है, वहीं चांडिल के शहरबेड़ा, चिलगु, भुईयांडीह, धातकिडीह, हाड़ूडीह, भादुडीह आदि जगहों पर दर्जनों क्रेसर लगे हैं और इको सेंसेटिव जोन स्थित एदेलबेड़ा, चाकुलिया, चिलगु आदि जगहों पर क्रशर के साथ साथ सैकड़ों फीट के कई पत्थर खादान बन चुके हैं जहां भारी पैमाने पर पत्थरों के अवैध खनन होते हैं, जबकि क्षेत्र में प्रजनन केंद्र, म्यूजियम व करोड़ों रुपये की लागत से बने फॉरेस्ट गेस्ट हाउस के रहने से हमेशा पर्यटकों के अलावा वन विभाग के आधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है. बताया जाता है कि क्षेत्र के नेता, खनन विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग के पदाधिकारी व पत्थर माफिया की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार चल रहा है. बताया जाता है कि यहां के पुर्व जिला परिषद सदस्य की इस क्षेत्र में काफी चलती है, अवैध कारोबारी और पदाधिकारियों के बिच सीढ़ी का काम बखूबी निभाते हैं। इस क्षेत्र में इनका खुद का भी क्रशर और खादान चलता है। अब ऐसे लोगों और इस क्षेत्र में सरेआम चल रहे वैध अवैध क्रशर मशीनों व खदानों पर जिम्मेवारों की नजर कब पड़ती है यह देखने वाली बात होगी।

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