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पलामू में भेजें आईसीआर के वैज्ञानिकों की टीम, नाशपाती, आलू व दलहन की खेती की तलाशी जाए संभावनाएं : शिवराज सिंह चौहान

रिपोर्ट: Shailendra Tiwary2 घंटे पहलेझारखण्ड

केंद्रीय कृषि मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हैदराबाद के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में छात्रावास व प्रशिक्षण ब्लॉक भवन का किया शिलान्यास

पलामू में भेजें आईसीआर के वैज्ञानिकों की टीम, नाशपाती, आलू व दलहन की खेती की तलाशी जाए संभावनाएं : शिवराज सिंह चौहान

मेदिनीनगर (पलामू) : नाशपाती, आलू व दलहन की खेती की पलामू प्रमंडल में व्यापक रूप से संभावनाएं तलाशी जाएं। इसके लिए पलामू में आईसीआर के वैज्ञानिकों की टीम भेजी जाएं। उक्त बातें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही। वे शनिवार को पलामू जिले के एनआईसी सेंटर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हैदराबाद के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में एग्जीक्यूटिव छात्रावास व प्रशिक्षण ब्लॉक के शिलान्यास कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने सांकेतिक रूप से रिमोट दबाकर भवन निर्माण का शिलान्यास किया। मौके पर शहनाई बजाकर स्वागत किया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने हैदराबाद के कार्यक्रम में मौजूद भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी से कहा कि वे शुक्रवार को पलामू प्रमंडल के नेतरहाट में रुके थे। किसानों ने बताया कि यहां बेहतर क्वालिटी के नाशपाती की खेती होती है। पलामू व लातेहार में आलू व पलामू में अरहर फसल की बेहतर पैदावार होती है। पूरे देश में अरहर पैदा करने में पलामू का नाम सबसे ऊपर है। यहां अरहर, मसूर व चना की अच्छी खेती होती है। लेकिन खरीदार व बेहतर दाम नहीं मिलने से किसानों ने दलहन पैदावार की तरफ से मुंह मोड़ लिया है। उन्होंने केंद्रीय सचिव डॉ देवेश चतुर्वेदी से कहा कि वे पलामू प्रमंडल में आईसीआर के वैज्ञानिकों की टीम भेजें। यहां के किसानों को कैसे अच्छे क्वालिटी के बीच मिल सकते हैं। खेती कैसे बढ़ सकती है। इस पर फोकस कराएं। किसानों को बेहतर क्वालिटी के पौधे भी उपलब्ध कराएं। कहा कि वे पलामू के किसानों से अरहर सहित अन्य दलहनी फसलों की खरीदारी करेंगे।

14.jpg राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में दें प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण : केंद्रीय कृषि मंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हैदराबाद में राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में एग्जीक्यूटिव छात्रावास और प्रशिक्षण ब्लॉक भवन निर्माण का शिलान्यास करने के पश्चात कहा कि राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान का मूल कार्य प्रशिक्षण देना है। एक्सटेंशन के हर आयाम पर ध्यान देना जरूरी है। ट्रेनिंग के तरीके व पाठ्यक्रम परंपरागत होनी चाहिए। प्रशिक्षण ऐसा हो जिससे कि 1.40 करोड़ जनता की जरूरत पूरी हो सके। बाहर से खाद्यान्न का इंपोर्ट नहीं करना पड़े। कौन-कौन से प्रशिक्षण देने की जरूरत है अभी से सोचें। डिटेल व एडवांस प्रशिक्षण की प्लानिंग करें। प्रशिक्षण भवन शरीर के समान व ट्रेनिंग आत्मा के समान होता है। आत्मा रूपी ट्रेनिंग कृषि की दशा व दिशा तय करेगी। काम बहुत व्यापक है। प्रशिक्षण, अनुसंधान व परामर्श सहित कई योजनाओं की क्रियान्वयन का कार्य प्रधानमंत्री ने उन्हें सौंपा है । कहा कि किसानों के उत्पादन लागत को घटाना व उत्पादन बढ़ाना लक्ष्य है। कहा कि केमिकल फ़र्टिलाइज़र के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। जमीन की उर्वरा क्षमता घट रही है। मित्र कीट मर रहे हैं। नदियां प्रदूषित हो रही हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि संस्थान में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिलाने का काम होना चाहिए। प्रधानमंत्री का संकल्प है कि खेती में किसानों की आए बढ़े। खाद्य सुरक्षा मजबूत हो। 1.40 करोड़ की आबादी को फल, सब्जी व खाद्यान्न बेहतर ढंग से मिले। दूसरे देशों से इंपोर्ट नहीं करनी पड़े। सभी की ज़रूरतें पूर्ण हों। कहा कि भारत की कृषि की रीढ़ है। 55 प्रतिशत लोगों की आजीविका खेती पर ही निर्भर है। ऐसे में प्रशिक्षण का कार्य बेहतर ढंग से होना चाहिए। कई में बहुत जल्द ही संस्थान में आएंगे। मौके पर पलामू एनआईसी सेंटर में झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, पलामू के उपयुक्त शशि रंजन व हैदराबाद में मैनेज के महानिदेशक योगिता राणा मौजूद थे।

संस्थान के शॉर्ट नाम "मैनेज" के नामकरण को लेकर कृषि मंत्री ने उठाए सवाल

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूषण की शुरुआत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन मैनेजमेंट के शॉर्ट फॉर्म "मैनेज" के नामकरण को लेकर सवाल उठा दिए। कहा है कि मैनेज शब्द से संस्थान का बोध नहीं होता है। कहा कि उन्होंने कृषि मंत्रालय को सुझाव दिया था की शार्ट नाम ना रखें। राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान से संस्थान का कोई अच्छा अर्थ निकाले, वैसा शार्ट नाम होना चाहिए। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कई बार शॉर्ट फॉर्म का इस्तेमाल अर्थ का अनर्थ होता है। साधारण तौर पर मैनेज शब्द का अर्थ मैनेज करना होता है। शॉर्ट फॉर्म का इस्तेमाल मूल भावना को डिफीट करता है। कहा कि शॉर्ट फॉर्म ऐसा बनाएं जिससे कि कोई अर्थ निकले। कहा कि महात्मा गांधी के नाम पर सड़क का नाम रखा गया है। लेकिन उसका शॉर्ट नाम एमजी रोड बोला जाता है। यह गलत है। शॉर्ट नेम का अर्थ निकलना चाहिए।

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