PMAY और अबुआ आवास योजना में अनियमितता का मामला, जांच रिपोर्ट भेजने में प्रखंड कार्यालय निष्क्रिय
एक सप्ताह में भेजना था जांच रिपोर्ट, तीन हफ्ते बाद भी प्रखंड कार्यालय निष्क्रिय

सरायकेला-खरसावां : ईचागढ़ प्रखंड के चिमटिया पंचायत में अबुआ आवास योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत भारी अनियमितताओं की शिकायत सामने आई है। इस संबंध में ग्रामीणों ने उपायुक्त सरायकेला-खरसावां को ईमेल के माध्यम से विस्तृत शिकायत भेजी थी जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने उप विकास आयुक्त (डीडीसी) को जांच का निर्देश दिया। डीडीसी द्वारा 28 अप्रैल को ईचागढ़ प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) एकता वर्मा को पत्र जारी कर 7 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। बावजूद इसके 23 दिन बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट डीडीसी कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई है जिससे प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट के अभाव में अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच अधर में लटकी हुई है।
शिकायत में लगाए गए गंभीर आरोप
शिकायती आवेदन में ग्रामीण पाण्डव महतो और निमाई चंद्र महतो ने आरोप लगाया है कि योजना का लाभ उन परिवारों को दिया गया है जो पहले से पीएम आवास या अन्य योजनाओं से लाभान्वित हो चुके हैं। कुछ मामलों में एक ही परिवार के दो सदस्यों को आबुआ आवास मिल गया, जबकि कई जरूरतमंद गरीब परिवार वंचित रह गए। शिकायत में कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं, जैसे :-
अर्जुन महतो को पीएम आवास पहले ही मिल चुका है फिर भी उनकी पुत्रवधू सुरुवाला देवी को आबुआ आवास दे दिया गया।
एक राशन कार्ड पर मां-बेटा दोनों को आवास मिल गया।
ममता महतो को आवास मिला जबकि उनकी शादी पश्चिम बंगाल में हो चुकी है।
कुछ लाभुकों के आधार व राशन कार्ड चिमटिया पंचायत से बाहर के हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले पीएम आवास योजना में भी ऐसे ही फर्जीवाड़ा किया गया था। इसके अतिरिक्त पति-पत्नी दोनों को आवास आवंटन का भी मामला सामने आया है।
ग्रामीणों को धमकाने का आरोप
शिकायत में यह भी कहा गया है कि जब योजनाओं के बारे में पंचायत सचिव से जानकारी मांगी जाती है तो वह सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाकर केस करने की धमकी देते हैं।
जांच टीम बनी, लेकिन रिपोर्ट लापता
प्रखंड कार्यालय ने पंचायत सेवक एवं आवास कोऑर्डिनेटर को जांच का जिम्मा दिया था लेकिन तीन सप्ताह से अधिक बीतने के बाद भी कोई रिपोर्ट नहीं बन पाई है। इससे प्रशासनिक लापरवाही और उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना उजागर होती है।
डीडीसी का निर्देश फिर भी निष्क्रिय
28 अप्रैल को उप विकास आयुक्त ने पत्रांक 164/आवास के तहत स्पष्ट रूप से 7 दिन में जांच प्रतिवेदन सौंपने को कहा था मगर प्रखंड कार्यालय की निष्क्रियता ने मामले को और गंभीर बना दिया है। ग्रामीणों ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई और वंचित लाभुकों को जल्द से जल्द आवास देने की मांग की है। वहीं प्रशासन की चुप्पी और जांच रिपोर्ट में देरी ने सरकार की योजनाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि उपायुक्त इस लापरवाही पर क्या कड़ा कदम उठाते हैं।