झारखंड में आदिवासी अस्मिता और घुसपैठ को लेकर मुखर हुए चंपई सोरेन, बोले सरना और जाहेरगढ़ वीरान हो जाएंगे अगर धर्मांतरण नहीं रुका, अब देशभर में पहुंचेगी हमारी आवाज
हफीजुल हसन की टिप्पणी पर सरकार को घेरा, आदिवासियों को किया एकजुट होने का आह्वान

सरायकेला : शनिवार को टायो गेट स्थित जाहेरथान पहुंचे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि हमारा एकमात्र एजेंडा झारखंड को बचाना है, आदिवासी अस्मिता, धर्मांतरण और बांग्लादेशी घुसपैठ के ख़िलाफ़ निर्णायक जनआंदोलन जरूरी है। उन्होंने कहा कि जामताड़ा से जो अभियान शुरू हुआ है वह अगले 5–6 महीनों तक निरंतर चलेगा। इसके बाद संथाल परगना में 10 लाख लोगों की विशाल सभा के ज़रिए आदिवासी समाज के दर्द को देशभर तक पहुँचाया जाएगा। हम दिल्ली तक झारखंड की आवाज़ पहुँचाएँगे। झारखंड की अस्मिता को मिटाने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने मुर्शिदाबाद की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वहां की स्थिति को देखते हुए पाकुड़ में धारा 144 लागू करनी पड़ी और यही खतरा अब झारखंड के भीतर भी मंडरा रहा है। बोकारो की सभा में भारी बारिश के बावजूद जनसमर्थन मिलने से उत्साहित चंपई सोरेन ने कहा कि अगर अब नहीं जागे तो न सरना स्थल में कोई बचेगा न जाहेरगढ़ में। आदिवासी संस्कृति खत्म हो जाएगी। इसलिए पहले समाज को जागरूक करना है फिर निर्णायक आंदोलन खड़ा करना है। मधुपुर विधायक हफीजुल हसन की संविधान को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी पर चंपई सोरेन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह ओछी मानसिकता का परिचायक है। झारखंड सरकार ऐसे लोगों को ही प्रतिनिधि बनाकर रखी है। ऐसे तत्वों से हमें और सतर्क रहना होगा। उन्होंने सभी झारखंडियों से आग्रह किया कि वे इस खतरे को पहचानें और एकजुट होकर धर्मांतरण, घुसपैठ और अस्मिता संकट जैसे विषयों पर गहराई से विचार करें। समाज को ही अब अपनी संस्कृति, अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा करनी होगी। पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान से झारखंड की राजनीति में एक बार फिर आदिवासी अस्मिता और सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दे चर्चा में आ गए हैं।