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आज भी प्रासंगिक हैं हरिशंकर परसाई

रिपोर्ट: Prem Prakash722 दिन पहलेझारखण्ड

सम्मान कार्यक्रम के बाद हरिशंकर परसाई के व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा प्रारंभ हुई। चर्चा के क्रम की शुरुआत लल्लन प्रजापति ने किया। उन्होंने कहा कि हरिशंकर परसाई ने व्यंग को साहित्य में स्थापित करने का कार्य किया है। चर्चा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए दर्शनशास्त्र के प्रोफ़ेसर डॉ विजय प्रकाश ने कहा कि हरिशंकर परसाई की रचनाओं में साहित्य और दर्शन का मेल दिखता है।

आज भी प्रासंगिक हैं हरिशंकर परसाई

वर्तमान में हरिशंकर परसाई की रचनाओं का पुनर्पाठ जरूरी है

चर्चा के दौरान ठिठुरता गणतंत्र और भोलाराम का जीव का किया गया पाठ

मेदिनीनगर : इप्टा द्वारा संचालित सांस्कृतिक पाठशाला की 12 वीं कड़ी में हरिशंकर परसाई की जन्म शताब्दी के मौके पर प्रगतिशील लेखक संघ एवं इप्टा की पलामू इकाई ने संयुक्त रूप से चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव एवं इप्टा के गोविंद प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया और संचालन प्रलेस के उपाध्यक्ष सह सुबह की धूप के संपादक शिव शंकर प्रसाद ने किया।

चर्चा प्रारंभ करने से पहले पलामू के युवा कवि घनश्याम कुमार को देश की प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका नवउदय ने सम्मान पत्र एवं प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया। नवउदय पत्रिका ने देश के 200 युवा कवियों को सम्मानित और प्रोत्साहित किया है। इस पर खुशी जाहिर करते हुए सांस्कृतिक पाठशाला में घनश्याम कुमार को सम्मानित किया गया। घनश्याम कुमार पिछले 5 वर्षों से कविता और आलेखों की रचना करते रहे हैं। उनका रचना कर्म आज भी जारी है। साथ ही पाठशाला को निरंतर संचालित करने के लिए गोविंद प्रसाद व तमाम साथियों की ओर से प्रेम प्रकाश को भी सम्मानित किया गया।

सम्मान कार्यक्रम के बाद हरिशंकर परसाई के व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा प्रारंभ हुई। चर्चा के क्रम की शुरुआत लल्लन प्रजापति ने किया। उन्होंने कहा कि हरिशंकर परसाई ने व्यंग को साहित्य में स्थापित करने का कार्य किया है। चर्चा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए दर्शनशास्त्र के प्रोफ़ेसर डॉ विजय प्रकाश ने कहा कि हरिशंकर परसाई की रचनाओं में साहित्य और दर्शन का मेल दिखता है।

युवा कवि घनश्याम कुमार ने हरिशंकर परसाई की रचना ठिठुरता हुआ गणतंत्र का पाठ किया। चर्चा में अच्छे लाल प्रजापति ने कहा कि हरिशंकर परसाई जितने सरल ढंग से व्यंग करते हैं उतने ही समाज की कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हैं। आज अगर हरिशंकर परसाई होते तो वे जेल में होते या फिर उन्हें मार दिया जाता।

गौतम कुमार ने परसाई की रचना भेड़ और भेड़िए तथा तुलसीदास चंदन घिसे को याद करते हुए कहा कि परसाई जी आज भी प्रासंगिक हैं। कवि मनीष नंदन ने उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए अपनी दो पंक्ति घर में हो रहे कलह, अब निदान मिले / जाति धर्म से नहीं पहचान अब मिले / हिंदू बन मिले ना मुसलमान बन मिले / जब भी मिले तो हम इंसान बन मिले उन्हें समर्पित किया।

केडी सिंह ने कहा कि सांस्कृतिक पाठशाला सही मायने में पाठशाला है। हरिशंकर परसाई की रचना जो घनश्याम ने सुनाया वह उस समय की राजनीति और वर्तमान राजनीति पर करारा प्रहार है। अपने वास्तविक चेहरे को अगर देखना है तो परसाई की रचना का पुनर्पाठ आवश्यक है। क्योंकि सामाजिक परिवर्तन सांस्कृतिक परिवर्तन के बिना संभव नहीं। प्रेम प्रकाश ने परसाई की रचना भोलाराम का जीव का पाठ किया । इसके बाद हरिशंकर परसाई की रचना प्रेमचंद के फटे जूते की चर्चा की। अध्यक्षता कर रहे गोविंद प्रसाद ने पाठशाला की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा तंत्र पर भी व्यंग लिखने की जरूरत है। वही पंकज श्रीवास्तव ने हरिशंकर परसाई को याद करते हुए कहा कि हरिशंकर परसाई एक अखबार में स्तंभ लिखा करते थे हरिशंकर परसाई से पूछिए। पहले तो प्रश्नकर्ता फिल्मी प्रश्न पूछा करते थे लेकिन परसाई ने उन्हें सामाजिक प्रश्नों को पूछने के लिए भी प्रेरित किया। साथ ही पाठशाला में उपस्थित तमाम लोगों को उन्होंने पढ़कर आने का सुझाव दिया। अंत में शिव शंकर प्रसाद ने धन्यवाद प्रेषित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। मौके पर नुदरत नवाज, प्रभात कुमार, मनीष कुमार नंदन, संजीव कुमार संजू,समरेश सिंह, अजीत कुमार, संजीत दुबे, अमित कुमार भोला, अभय मिश्रा, संजीव कुमार, मोहम्मद नसीम, अमर भांजा, सुमित कुमार गुलशन, सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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