कचरे से रचनात्मकता तक की कहानी: एनआईटी जमशेदपुर की स्क्रैप-टू-आर्ट पहल बनी राष्ट्रीय प्रेरणा
स्वच्छता से सतत विकास की ओर, एनआईटी जमशेदपुर ने स्क्रैप-टू-आर्ट से रचा नवाचार का इतिहास

आदित्यपुर : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के अंतर्गत अपनी स्क्रैप-टू-आर्ट (कचरे से कला) पहल के जरिए सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और परिपत्र अर्थव्यवस्था का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। संस्थान द्वारा अनुपयोगी धातु स्क्रैप को आकर्षक और अर्थपूर्ण कला संरचनाओं में रूपांतरित कर यह संदेश दिया जा रहा है कि कचरा भी संसाधन बन सकता है यदि उसमें नवाचार और रचनात्मकता जोड़ी जाए। हाल ही में एनआईटी जमशेदपुर के केंद्रीय पुस्तकालय प्रांगण में 830 किलोग्राम धातु स्क्रैप से निर्मित भव्य शिल्प (ज्ञान आलिंगन) का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधर, प्रभारी रजिस्ट्रार प्रो. सरोज कुमार सारंगी, विशिष्ट पूर्व छात्र देवी प्रसाद दाश सहित अनेक अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। यह शिल्प ज्ञान के महत्व को दर्शाते हुए विद्यार्थियों को अध्ययन और नवाचार के लिए प्रेरित करता है। इससे पहले भी एनआईटी जमशेदपुर ने स्क्रैप-टू-आर्ट के कई उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। इनमें 490 किलोग्राम स्क्रैप से बना एनआईटी जेएसआर शिल्प, 780 किलोग्राम से निर्मित एनआईटी स्तंभ तथा मुख्य द्वार पर स्थापित 1090 किलोग्राम धातु स्क्रैप से बनी मेक इन इंडिया सिंह प्रतिमा शामिल हैं। अब तक संस्थान कुल 3190 किलोग्राम धातु स्क्रैप का रचनात्मक पुनः उपयोग कर चुका है। मेक इन इंडिया सिंह प्रतिमा आत्मनिर्भर भारत और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है जिसकी परिकल्पना स्वयं निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधर ने की थी। इस पहल को स्वच्छता ही सेवा के नोडल अधिकारी डॉ. नवीन कुमार वेलदुर्थी, पूर्व रजिस्ट्रार कर्नल (डॉ.) एन. के. राय तथा योजना एवं विकास टीम का निरंतर सहयोग मिला। शिल्प निर्माण में कलाकार सुबेंदु बिस्वास एवं उनकी टीम की भूमिका भी सराहनीय रही। पर्यावरण संरक्षण और नवाचार के इन प्रयासों के लिए एनआईटी जमशेदपुर को एसीई अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया है जो संस्थान की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और रचनात्मक सोच को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करता है।