हेमा ने अपनी मेहनत से लिखा खुद का मुकद्दर, मदर यूनिट को बनाया सोने का अंडा देने वाला व्यवसाय
हेमा न सिर्फ इस सखी मंडल से जुड़ी बल्कि उसने ऋण लेकर 20 चूजों से मुर्गी पालन का कारोबार भी शुरु किया.

अजय कुमार हिरणपुर। नारी शक्ति वो नाम है जब वो ठान लेती है तो मिट्टी को भी सोना बना देती है. हिरणपुर प्रखंड अंतर्गत गौरीपुर गांव की हेमा देवी की जिंदगी पैसे की तंगी के चलते परिवार में सुख शांति सब खत्म होते जा रही थी. बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाने का सपना भी टूटता जा रहा था.
पति का रोजगार भी मंदा चला रहा था. हालात कुछ ऐसे बने कि एक वक्त घर चलाना भी मुश्किल हो गया. हेमा देवी को एक दिन पलाश राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तहत संचालित सखी मंडल के बारे में जानकारी मिली. हेमा न सिर्फ इस सखी मंडल से जुड़ी बल्कि उसने ऋण लेकर 20 चूजों से मुर्गी पालन का कारोबार भी शुरु किया.
2024 में हेमा मुर्गी पालन शुरू किया था. शुरुआत में 20 चूजे पालकर प्रयास किया जिससे समझ में आया की इस काम में मुनाफा संभव है. इनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. कच्चे का घर था बच्चों को स्थानीय स्कूल में ही पढ़ा रही थी. लेकिन सखी मंडल से जुड़ ऋण लेकर मुर्गी पालन का काम शुरू किया.घर में ही मदर यूनिट का शुरुआत किया और छोटे चूजों को पालकर बढ़ा कर अच्छे दामों में बेचकर अच्छा आमदनी कर रही है हाल में ही हेमा ने 310 मुर्गि/ मुर्गे को 350 की दर से बेचकर 108500 एक लाख आठ हजार पांच सो रूपये इन तीन महीनों में कमाई की । हालाकी बाजार में मुर्गे का रेट अच्छा मिलने पर कमाई और भी बढ़ जाती है, ।
जिले के हिरणपुर प्रखंड में अकेली हेमा ही नहीं है जो सखी मंडल से जुड़ लोन लेकर मुर्गी पालन के सहारे अपने परिवार का भविष्य संवार रही है. हेमा जैसी सैंकड़ों महिलाएं हैं जो अपनी तकदीर आज खुद लिख रही हैं. जरुरत बस इस बात की है कि मन में कुछ करने का हौसला होना चाहिए. हेमा देवी को भी हौसला किसी और से नहीं बल्कि जेएसएलपीएस द्वारा संचालित सखी मंडल से मिली।