नीमडीह के गांवों में अवैध महुआ शराब का कारोबार जोरों पर, युवा पीढ़ी पर नशे का खतरा
महुआ शराब की चुलाई के बाद बचा हुआ अवशेष खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, इन अवशेषों की गंध से हाथी आकर्षित होकर गांवों में घुस जाते हैं, जिससे जान-माल का खतरा और बढ़ जाता है।
नीमडीह (सरायकेला-खरसावां) : नीमडीह थाना क्षेत्र के मुरु, तिलाईटर, लाकड़ी, और बनडीह समेत कई गांवों में अवैध महुआ शराब का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। इन गांवों की गलियां शराब की दुर्गंध से भरी रहती हैं, जहां प्रतिदिन हजारों लीटर महुआ शराब तैयार की जा रही है। यह सस्ती शराब नीमडीह, चांडिल, तिरुलडीह, और पश्चिम बंगाल तक पहुंचाई जा रही है। महुआ शराब की आसान उपलब्धता के कारण खासतौर पर मजदूर वर्ग और युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं। नशे की इस लत के कारण युवा अपनी सेहत और भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं। स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह धीमा जहर युवा पीढ़ी को अंधकार में धकेल रहा है। शराब की अधिक खपत से कई लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो रहे हैं, जिससे उनकी अकाल मृत्यु हो रही है। शराब की लत के कारण परिवारों में कलह और तनाव बढ़ गया है। अवैध शराब कारोबारियों पर पुलिस का डर बिल्कुल भी नहीं दिख रहा। शराब की तस्करी सुबह 4 बजे से लेकर पूरे दिन मोटरसाइकिल के जरिए हो रही है। गांवों के बाहरी इलाकों में अस्थायी टेंट लगाकर महुआ शराब तैयार की जा रही है। महुआ शराब की चुलाई के बाद बचा हुआ अवशेष खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, इन अवशेषों की गंध से हाथी आकर्षित होकर गांवों में घुस जाते हैं, जिससे जान-माल का खतरा और बढ़ जाता है। ग्रामीणों और बुद्धिजीवियों ने प्रशासन से इस समस्या पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनकी मांगें हैं कि अवैध महुआ शराब के कारोबार पर सख्ती से रोक लगाई जाए। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। युवाओं को नशे के चंगुल से बाहर निकालने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। अवैध शराब के इस कारोबार से जहां एक ओर युवाओं का भविष्य खतरे में है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण और सामाजिक ढांचे पर भी बुरा असर पड़ रहा है।