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झारखंड की लेडी सिंघम : आईपीएस रीष्मा रमेशन के नेतृत्व में नक्सलियों के गढ़ में पहली बार हुआ हिंसा मुक्त चुनाव

रिपोर्ट: VBN News Desk4 घंटे पहलेझारखण्ड

नक्सलियों और अपराधियों में खौफ , वहीं समाजिक बदलाव की बनी है वाहक

झारखंड की लेडी सिंघम : आईपीएस रीष्मा रमेशन के नेतृत्व में नक्सलियों के गढ़ में पहली बार हुआ हिंसा मुक्त चुनाव

रांची - 15 नवंबर को झारखंड 25 वर्ष का हो जाएगा। झारखंड की पहचान धीरे धीरे बदल रही है और राज्य नक्सल हिंसा से निकल कर बदलाव की तरफ बढ़ रहा है। इस बदलाव के कई लोग वाहक बने है, इनमें से एक नाम है 2017 बैच की आईपीएस रीष्मा रमेशन। केरल में जन्मी रीष्मा रमेशन वर्तमान में झारखंड राज्य के पलामू जिले की एसपी के पद पर तैनात है। इनके नेतृत्व में पलामू में बीते लोकसभा एवं विधानसभा का चुनाव साल 1990 के बाद पहली बार पलामू के इलाके में नक्सल हिंसा मुक्त हुआ है। 2024 से पहले पलामू में चुनाव के दौरान नक्सल हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है। लेकिन पलामू जिले की पहली महिला एसपी रीष्मा रमेशन के कुशल नेतृत्व और उत्कृष्ट पुलिसिंग प्रबंधन का ही नतीजा था कि लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई। पलामू में शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए राज्यपाल एवं चुनाव आयोग में पलामू एसपी रीष्मा रमेशन को सम्मानित भी किया है। 21.jpg 20.jpg सीआरपीएफ के बिना शांतिपूर्ण चुनाव करवाना था बड़ी चुनौती

पलामू एसपी रीष्मा रमेशन 2023 में पलामू एसपी के पद पर तैनात हुई थी। आईपीएस रीष्मा रमेशन के तैनाती के दौरान ही पलामू से सीआरपीएफ की पूरी बटालियन को क्लोज कर दिया गया था। 2000 से बाद से पलामू में होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में नक्सल अभियान एवं सूरक्षा का नेतृत्व सीआरपीएफ करती थी , लेकिन 2024 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में पलामू में सीआरपीएफ की मौजूदगी नहीं थी। एसपी रीष्मा रमेशन ने लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव को लेकर खास योजना तैयार किया। जिस कारण नक्सली चुनाव में किसी भी प्रकार का हिंसा नही कर पाए ना ही अपने मंसूबे में कामयाब हो पाए।

नक्सलियों के गढ़ में पहली बार पैदल पहुंची पोलिंग पार्टी और जवान

2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पलामू की कई हिस्सों में पहली बार पोलिंग पार्टी पैदल पहुंची थी। नक्सलियों के खौफ के कारण कई इलाकों में पोलिंग पार्टी हेलीकॉप्टर से जाती थी। पलामू के चक एवं महुडंड के इलाके में पहली बार पोलिंग पार्टी सड़क मार्ग से गई। दोनो इलाकों में पोलिंग हेलीकॉप्टर से जाते थे। पलामू में 30 ऐसे रोड है जिन पर नक्सल हमले का खतरा है, एसपी ने चुनाव के दौरान इन रोड के लिए खास योजना तैयार किया था। चुनाव के दौरान इन सड़कों पर बेखौफ होकर सुरक्षाबल एवं पोलिंग पार्टी गुजरी थी।

◆ 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पलामू के हरिहरगंज में माओवादियों ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय को उड़ा दिया था, वही विधानसभा चुनाव के दौरान पलामू के पिपरा थाना क्षेत्र में भरी बाजार में माओवादियों ने प्रखंड प्रमुख के पति मोहन गुप्ता को गोलियों से भून दिया था।

◆ 2004 में पलामू एवं लातेहार में नक्सली ने सबसे पहले चुनाव के दौरान लैंड माइंस विस्फोट की शुरूआत किया था, इसके बाद से कई इलाकों में पोलिंग पार्टी हेलीकॉप्टर से भेजे जाने लगी थी। 2024-25 में पहली बार पलामू में कहीं भी हेली ड्रॉपिंग नहीं हुई है।

◆ 2009 से 2014 के बीच विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के दौरान पुलिस एवं नक्सलियों के बीच 15 से अधिक बार मुठभेड़ हुई है, इस दौरान नक्सलियों ने 20 से अधिक सरकारी भवनों को उड़ा दिया था, जबकि चार से अधिक जवान शहीद भी हुए है। (यह सभी घटना उस दौरान हुई है जब पलामू में सीआरपीएफ की एक बटालियन मौजूद रहती थी)।

पलामू में चुनाव करवाना क्यों रहा है बड़ी चुनौती ?

पलामू के इलाके में किसी भी प्रकार का चुनाव करवाना एक बड़ी चुनौती रही है। पलामू के इलाके में नक्सल के अपराध के खिलाफ भी कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती रही है। पलामू का इलाका एक तरफ से बिहार के गया एवं औरंगाबाद से सटा हुआ है , अविभाजित बिहार में पलामू के इलाके से ही चुनाव के दौरान नक्सली हिंसा की शुरुआत हुई थी। नक्सली इंटर स्टेट बॉर्डर का फायदा उठाना चाहते थे, लेकिन पलामू एसपी कार्रवाई ने उनके योजना को सफल नहीं होने दिया। 2004 के बाद से पलामू में चुनाव के दौरान कई बड़ी हिंसा हुई है, जिनमें एक दर्जन से अधिक जवान शहीद हुए है। पलामू के इलाके में भाकपा माओवादी के साथ टीएसपीसी जेजेएमपी जैसे नक्सल संगठन सक्रिय है।

नक्सलियों एवं अपराधियों में आईपीएस रीष्मा रमेशन का खौफ

नक्सलियों एवं अपराधियों में आईपीएस रीष्मा रमेशन का खौफ है। पलामू एसपी रीष्मा रमेशन में नेतृत्व में टॉप कमांडर तुलसी भुईयां, 05 पांच लाख का इनामी टीएसपीसी कमांडर मुखदेव यादव मारा गया है। जबकि कई टॉप नक्सली एवं अपराधी पकड़े गए है। कुख्यात डॉन गौतम कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने भी सरेंडर किया है। जबकि 2024 में अपराधियों के पास से 46 हथियार बरामद हुए। 2023 में 37 हथियार बरामद हुए है। 2025 में 892 अपराधी गिरफ्तार हुए हैं , जबकि 44 हथियार अब तक बरामद हुए है।

  • पलामू एसपी का पदभार ग्रहण के कुछ दिनों बाद ही एसपी रीष्मा रमेशन को सूचना मिली थी कि कुख्यात डॉन सुजीत सिन्हा का हथियारों का जखीरा पलामू में आने वाला है। एसपी ने योजना तैयार किया और कार्रवाई करते हुए 8 पिस्टल को बरामद किया और हथियार के एक तस्कर को गिरफ्तार किया था।

पलामू एसपी रीष्मा रमेशन का सामाजिक चेहरा, कई लड़कियों को मिली नई जिंदगी 18.jpg पलामू एसपी रीष्मा रमेशन से नक्सली एवं अपराधी खौफ खाते रहे है। एसपी का एक सामाजिक चेहरा है, जिस कारण कई लड़कियों के जीवन भी बदल गई है। पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के रंगेया एवं सदर थाना क्षेत्र के रहने वाले एक लड़की ने पढ़ाई के लिए एसपी रीष्मा रमेशन से मदद मांगी थी। रंगेया की लड़की को एसपी ने चक हाई स्कूल में एडमिशन करवाया था पढ़ाई की सामग्री दिया, दोनों के परिजनों का काउंसेलिंग भी किया। लड़की 12 वीं में अच्छा अंक लायी है, सदर थाना क्षेत्र के रहने वाली लड़की का परिवार बेहद ही गरीब था और वह पीजी की पढ़ाई करना चाहती थी। एसपी ने लड़की का कॉलेज में नामांकन करवाया एवं प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग भी करवा रहे हैं। पढ़ाई के लिए दोनों लड़कियों को सभी तरह की सहायता दी जा रही है। इनके अलावे अपने सानिध्य में कार्य करने वाले जिले के पुलिस के अधिकारी और जवान से उनका अपनत्व का ही नतीजा है कि उनमें पुलिस कर्मी ममत्व का भाव देखते हैं।

अपराधियों के लिए बेहद कड़क और खौफनाक मगर सामान्य लोगों के लिए पलामू एसपी रीष्मा रमेशन बेहद ही आध्यात्मिक और भावुक महिला ऑफिसर हैं। अहले सुबह उठना, विशेष पूजा-अर्चना करना और ग्राम्य परिवेश सा रहन-सहन, क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों की बाते सीधे मिलकर सुनना और फ़िर उनपर यथाशीघ्र यथोचित कारवाई सुनिश्चित करना उन्हें जनता से सीधे तौर पर जोड़ता है।

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