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चांदुडीह आत्महत्या केस में पुलिस पर गंभीर लापरवाही के आरोप, चौका थाना प्रभारी की कार्रवाई पर ग्रामीणों ने खड़े किए बड़े सवाल

रिपोर्ट: MANISH 8 घंटे पहलेझारखण्ड

21 वर्षीय राहुल मंडल की मौत, मजिस्ट्रेट की गैरमौजूदगी, सीन-प्रोटेक्शन की अनदेखी और अंतरराज्यीय जांच में सुस्ती पर विरोध तेज

चांदुडीह आत्महत्या केस में पुलिस पर गंभीर लापरवाही के आरोप, चौका थाना प्रभारी की कार्रवाई पर ग्रामीणों ने खड़े किए बड़े सवाल

चौका : सरायकेला-खरसावां जिला के चांदुडीह में 21 वर्षीय राहुल मंडल की संदिग्ध परिस्थितियों में दुकान के अंदर फांसी से मौत के बाद पुलिस की प्रारंभिक कार्रवाई पर स्थानीय लोगों और परिजनों ने गंभीर आपत्ति जताई है। गुरुवार दोपहर हुई इस घटना में राहुल ने कथित रूप से अपनी गर्लफ्रेंड को वीडियो कॉल पर पूरी घटना दिखाते हुए अपनी जान दे दी। दुकान का शीशा-दार दरवाज़ा अंदर से बंद था लेकिन ग्रामीणों के अनुसार मौके पर पुलिस पहुंचने के बावजूद शव को पहले परिजनों ने ही नीचे उतारा जो जांच प्रक्रिया का बड़ा उल्लंघन माना जा रहा है।

सबसे बड़ा सवाल कि मजिस्ट्रेट क्यों नहीं बुलाया गया?

क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की धारा 174 के तहत किसी भी संदिग्ध मृत्यु पर पुलिस को घटनास्थल सुरक्षित करना, मजिस्ट्रेट/SDM को बुलाना, फोरेंसिक टीम को सूचना देना और शव को बिना छेड़छाड़ सुरक्षित रखना अनिवार्य है। ग्रामीणों का कहना है कि न तो मजिस्ट्रेट मौजूद थे और न ही मौके का वैज्ञानिक तरीके से दस्तावेज़ीकरण किया गया। यह चूक जांच की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

अंतरराज्यीय पहलू पर भी उठे आरोप

राहुल बंगाल के पुरुलिया जिले की एक युवती से बात करता था। ग्रामीणों का आरोप है कि झारखंड पुलिस पश्चिम बंगाल जाकर अनुसंधान करने में अनिच्छा दिखा रही है जबकि यह केस तकनीकी व अंतरराज्यीय साक्ष्यों पर आधारित है जिसमें CDR, वीडियो कॉल रिकॉर्ड, डिजिटल फोरेंसिक और संबंधित युवती का बयान बेहद महत्वपूर्ण है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और उन्होंने निष्पक्ष, नियमसम्मत धारा 174 के तहत मजिस्ट्रियल जांच तथा फॉरेंसिक टीम की तैनाती की मांग की है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि थाना प्रभारी द्वारा सीन-प्रोटेक्शन और विधिक प्रक्रिया की अनदेखी की पारदर्शी तरीके से जांच होनी चाहिए।

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