एनएच-139 पर अवैध कोयला तस्करी पर सवाल, प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही से एनएच-139 की सड़कों पर क्षति का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है।

रिपोर्ट गौतम प्रताप हरिहरगंज (पलामू): झारखंड से बिहार की ओर नेशनल हाईवे-139 के रास्ते अवैध कोयला तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बताया जा रहा है कि झारखंड के पलामू जिले के छतरपुर और हरिहरगंज के रास्ते यह कोयला बिहार के संड़ा–अम्बा के रास्ते इसे कोयले की खेप को बिहार के औरंगाबाद जिले तक पहुंचाया जाता है और फिर यहां से बिहार के अलग-अलग मंडियों तक पहुंचाया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार,100 से भी अधिक ट्रकों का परिचालन प्रतिदिन हो रहा है,इन ट्रकों में 40 से 50 टन तक ओवरलोड कोयला लदा होता है। सीमा पार करने से पहले कई ट्रक हरिहरगंज और छतरपुर में कुछ समय के लिए रोके जाते हैं, इसके बाद उन्हें चार से पाँच गाड़ियों के समूह में बिहार की सीमा में प्रवेश कराया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अवैध कारोबार प्रशासनिक मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता।
इस तस्करी पर रोक न लगने से शासन-प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही से एनएच-139 की सड़कों पर क्षति का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। पलामू जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) और जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) की चुप्पी ने भी इस मामले में संदेह गहरा दिया है। वहीं, बिहार के औरंगाबाद जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता पर भी सवाल उठने लगे हैं। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए तथा अभिलंब तस्करी के इस नेटवर्क से जुड़े लोगों की भूमिका उजागर हो सके।