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हाथीगढ़ में रैयतों को नहीं मिला न्याय,पुलिस अफसर की जमीन खोद डाली

रिपोर्ट: कार्तिक कुमार101 दिन पहलेझारखण्ड

माफियाओं ने दारोगा जाबाई मराण्डी का जमीन को भी जबरन खोद डाला

पाकुड़।वर्तमान समय में पाकुड़ का हाथीगढ़ गांव चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। और बने भी क्यों नहीं क्योंकि यह गांव जेएमएम के बड़े नेताओं का गढ़ माना जाता था। और अभेद्य किला के तरह यहां इन लोगों का शान शौकत और कारोबार चलता था, लेकिन आज भी अपने ही गढ़ में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

यहां पिछले एक सप्ताह से क्रशर और खदान बंद पड़ा है। रैयतों ने अपनी मांग को लेकर सरा काम ठप किया है। बीच में अचानक खबर मिला था कि कंपनी और रैयतों के बीच आम सहमति बन गया है इसलिए फिर से काम शुरू किया गया है लेकिन आज का ताजा समाचार ने फिर से गर्मी बढ़ा दिया है।हाथीगढ़ के रैयतों ने फिर से चुड़का गढ़ कर विरोध जताया।

और कहा कि हमारे साथ किसी प्रकार का कंपनी के साथ कोई समझौता नहीं बना है इसलिए हम लोग अपनी मांगों को लेकर अडिग है। उन लोगों कहा कि कंपनी यहां के लोगों को खरीदने के लिए एड़ी चोटी का प्रयास कर रही है लेकिन हम लोग अपनी मांगों पर अडिग है। कंपनी के दलाल पैसे और गुंडे के बल पर यहां जबरन काम चालू करना चाहती है लेकिन हम लोग कामयाब नहीं होने देंगे।

35.jpg माफियाओं ने दारोगा जाबाई मराण्डी का जमीन को भी जबरन खोद डाला

दारोगा जाबाई मराण्डी हाथीगढ़ गांव के रैयत है और वर्तमान समय में टाटा के बागबेड़ा थाना में छोटा बाबू के पद पर कार्यरत है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि मुझे नौकरी के वजह से घर आने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता इस बीच माफियाओं ने मेरा जमीन भी जबरन खोद डाला। मैं इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। रैयतों के साथ आज भी गांव के युवा बाबुधन टुडू, छोटो हांसदा, राम टुडू आदि डटकर खड़े हैं। बाबुधन टुडू ने कहा कि कहा कि यहां पर रैयतों को गुमराह में रखकर अवैध तरीके से क्रशर संचालित किया जाता है और पत्थर उत्खनन किया जाता है। रैयतों से औने पौने दामों में जमीन लिया गया है। कहीं लीज तो कहीं लीज से बाहर पत्थर उत्खनन किया गया है।पुरातन पतीत जमीन पर अवैध तरीके से पत्थर उत्खनन किया जाता है। जमीन मालिकों को पार्टनरशीप में नहीं रखा जाता है और न ही समझौता का राशि ठीक से दिया जाता है। यहां पर वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण चरम पर है। ग्रामीणों ने इस संबंध में एक वीडियो भी जारी किया है।

 प्रोफेसर निर्मल मुर्मू शूरू से ही  रैयतों के समर्थन लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख रहे हैं।

पाकुड़ जिला में निर्मल मुर्मू का पहचान एक जाने माने समाजिक कार्यकर्ता के रूप में है। लगातार वह शोषित और वंचितों की आवाज बनकर उभरे हैं। हाथीगढ़ गांव लगातार उनके नजर में बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हाथीगढ़ गांव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के द्वारा रैयत और ग्रामीणों को प्रताड़ित किया जा रहा है। कंपनी, दलाल और उनके गुंडे द्वारा जबरन जमीन मालिकों को रगड़कर काम शुरू करना चाहती है। जब तक जमीन मालिकों को न्याय नहीं मिलता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यहां फर्जी तरीके से क्रशर और खदान संचालित किया जाता है। सरकार को भी करोड़ों का चुना लगाया गया है। इसलिए यहां उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

  आंदोलन में मोहन किस्कू, कार्तिक हेम्ब्रम,भुतू हेम्ब्रम, शनिचर हेम्ब्रम,बिसू किस्कू,लेलशन हेम्ब्रम, राजू सोरेन,मंगल टुडू, योगेश हांसदा आदि रैयत तथा ग्रामीण उपस्थित थे।
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