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आदिवासी अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा का संकल्प, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अदिबासी महासम्मेलन में उठाई बुलंद आवाज़

रिपोर्ट: MANISH 13 दिन पहलेराजनीति

चाकुलिया में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब, धर्मांतरण व अतिक्रमण पर जताई गहरी चिंता

आदिवासी अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा का संकल्प, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अदिबासी महासम्मेलन में उठाई बुलंद आवाज़

जमशेदपुर : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने आदिवासी समाज के अस्तित्व, आत्म-सम्मान और परंपराओं की रक्षा के लिए निर्णायक संघर्ष का आह्वान किया है। चाकुलिया टाउन हॉल में आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा और भारत जकात मांझी परगना महाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने धर्मांतरण के विरुद्ध समाज को संगठित होने की अपील की। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस आदिवासी संस्कृति के लिए बाबा तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, पोटो हो, भगवान बिरसा मुंडा ने बलिदान दिया उसे यूं ही मिटने नहीं दिया जाएगा।

धर्मांतरण और अतिक्रमण पर गहरा रोष

चंपाई सोरेन ने तेजी से बढ़ते धर्मांतरण को आदिवासी पहचान और परंपराओं पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा कि यदि अब भी समाज नहीं जागा तो भविष्य में जाहेरथान, सरना स्थल और देशाउली वीरान हो जाएंगे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब आदिवासी बेटियों को विवाह उपरांत पैतृक संपत्ति का अधिकार नहीं होता तो अन्य समाज से आए लोग जमाई टोला बनाकर हमारे अधिकारों में कैसे अतिक्रमण कर सकते हैं?

एसपीटी-सीएनटी एक्ट के उल्लंघन का आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री ने साहिबगंज, दुमका, पाकुड़, राजमहल और कपाली (सरायकेला) के उदाहरण देते हुए कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट लागू होने के बावजूद आदिवासियों की ज़मीनें छीनी जा रही हैं। कपाली के बांधगोड़ा गांव में 150 एकड़ से अधिक जमीन का अतिक्रमण इसका बड़ा उदाहरण है।

अबुआ सरकार पर कड़ा हमला

चंपाई सोरेन ने मौजूदा गठबंधन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने आदिवासी हितों के साथ हमेशा विश्वासघात किया है। उन्होंने याद दिलाया कि 1961 में आदिवासी धर्म कोड हटवाने और झारखंड आंदोलन के दौरान गोली चलवाने में कांग्रेस की भूमिका रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महान नेता कार्तिक उरांव द्वारा प्रस्तावित डीलिस्टिंग बिल को पर्याप्त समर्थन के बावजूद कांग्रेस ने लागू नहीं होने दिया।

सम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब

हजारों की संख्या में आए मांझी परगना, पाहन, मानकी-मुंडा, पारंपरिक ग्राम प्रधानों और आदिवासी समाज के अगुवाओं ने चंपाई सोरेन के विचारों का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। कार्यक्रम के पूर्व चंपाई सोरेन ने सिदो-कान्हू व पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और दिशोम जाहेर गढ़ में पूजा-अर्चना की। यह महासम्मेलन आदिवासी स्वशासन व्यवस्था, संस्कृति और अधिकारों की पुनर्स्थापना के संकल्प का प्रतीक बनकर उभरा है।

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