सरायकेला को भले घोषित किया गया नक्सलमुक्त, लेकिन जंगलों में अब भी छिपा है बारूद का खतरा
एक महीने में तीन बड़े बरामदगी से फिर सतह पर आया नक्सली खतरा, नक्सल मुक्त दावा सवालों के घेरे में

सरायकेला के मासीबेरा पहाड़ी से 60 किलो अमोनियम नाइट्रेट समेत भारी विस्फोटक बरामद, बम निरोधक दस्ते ने किया नष्ट
सरायकेला-खरसावां : जिले में नक्सली गतिविधियों के पूरी तरह खत्म होने के प्रशासनिक दावे को एक बार फिर झटका लगा है। 31 जुलाई 2025 को पुलिस अधीक्षक को गुप्त सूचना मिली कि भाकपा (माओवादी) के उग्रवादियों ने कुचाई थाना क्षेत्र के दलभंगा ओपी अंतर्गत ग्राम मासीबेरा के पहाड़ी इलाके में विस्फोटक सामग्री छिपा रखी है। इस सूचना के आधार पर सरायकेला-खरसावां पुलिस, चाईबासा पुलिस, झारखंड जगुआर, सीआरपीएफ और एसएसबी के संयुक्त बल द्वारा तलाशी अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान एक ब्लू प्लास्टिक कंटेनर से 20 पैकेट (प्रत्येक 1 किलोग्राम) और एक स्टील कंटेनर से 40 पैकेट (प्रत्येक 1 किलोग्राम) अमोनियम नाइट्रेट पाउडर सहित कुल 60 किलोग्राम विस्फोटक तथा 10 पैकेट वैसलीन पेट्रोलियम जैली बरामद हुए। बरामद सभी सामग्री को मौके पर ही बम निरोधक दस्ते की सहायता से निष्क्रिय कर दिया गया। गौरतलब है कि गुरुवार को कोल्हान डीआईजी ने समीक्षा बैठक के बाद जिले को नक्सलियों से पूरी तरह सुरक्षित बताया था। लेकिन विस्फोटकों की लगातार बरामदगी उनके बयान पर सवाल खड़े कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सली सरायकेला जिले को एक सेफ ज़ोन के रूप में उपयोग कर रहे हैं जहां वे बारूद और असलहे छिपा रहे हैं और आसपास के इलाकों में दहशत फैलाने की योजना बना रहे हैं। यह घटना उस सिलसिले की कड़ी है जिसमें पिछले एक महीने में जिले के विभिन्न पहाड़ी इलाकों से भारी मात्रा में नक्सली सामग्री बरामद की गई है। 28 जून को खरसावां थाना के रायजामा स्थित गोबरगोटा पहाड़ी से 5 किलोग्राम विस्फोटक, 29 केन बम, 500 डेटोनेटर व अन्य सामग्री मिली थी। 22 जुलाई को कुचाई प्रखंड के नीमडीह पहाड़ियों से 12 भारी केन बम बरामद हुए। और 23 जुलाई को दलभंगा ओपी अंतर्गत लोटबुरू पहाड़ी क्षेत्र से दो ग्लास बम (500 एमएल एनबीएम) पकड़े गए। तीनों घटनाएं और अब ताजा मासीबेरा की बरामदगी यह संकेत देती हैं कि भले ही नक्सलियों की सक्रियता कम दिख रही हो लेकिन उनके द्वारा छिपाए गए विस्फोटक आज भी गंभीर खतरा बने हुए हैं। खुफिया एजेंसियों की सतर्कता पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या पूर्व में गिरफ्तार नक्सली महाराजा प्रमाणिक से मिली जानकारियां अधूरी थीं या सुरक्षा एजेंसियों ने पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई। इन घटनाओं ने प्रशासन को नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर कर दिया है ताकि छिपे हुए नक्सली खतरे को जड़ से खत्म किया जा सके।