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बिना कोई कोचिंग क्लास लिए स्वयं से अध्ययन कर शिवानी ने किया नीट क्वालीफाई

रिपोर्ट: Shailendra Tiwary12 दिन पहलेझारखण्ड

1073 रैंक लाकर शिवानी ने अपने परिवार व पलामू का बढ़ाया मान

बिना कोई कोचिंग क्लास लिए स्वयं से अध्ययन कर शिवानी ने किया नीट क्वालीफाई

तरहसी प्रखंड के श्रीकेदाल गांव की है शिवानी

रुला देगी बिना कोई कोचिंग नीट पास करने वाली शिवानी की कहानी

मेदिनीनगर (पलामू) : पलामू की एक बेटी ने वह कमाल कर दिखाया है जिसे जानकर आपको गर्व होगा व उसके संघर्ष की कहानी को जानकर आंखों से आंसू भी निकल आएंगे। तरहसी प्रखंड के श्रीकेदाल गांव की रहने वाली शिवानी ने बिना कोचिंग किए खूद की पढ़ाई की बदौलत नीट एग्जाम क्लियर कर लिया है। ईडब्लूएस कैटेगरी में 1073 रैंक लाकर शिवानी ने अपने परिवार व पूरे पलामू का मान बढ़ाया है। लेकिन जब आप शिवानी की कहानी को जानेंगे तो यकीनन यह कह पाएंगे की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ केवल नारों तक सीमित है। शिवानी कोचिंग इसलिए नहीं कर पाई क्योंकि उसके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि मोटी रकम के रूप में फी चुका कर अपनी बेटी को कोचिंग संस्थानों में दाखिला दिला सकें। आज भी शिवानी उस बात को याद कर फफक पड़ती है जब शिवानी के पिता ने खाना बनाने के लिए एक खाली रूम की दरख्वास्त अपने मकान मालिक से की थी। झल्लाकर मकान मालिक ने अभद्र जवाब दिया था। वह बात टीस की तरह शिवानी के बाल मन को चुभ गई थी । उसने ये ठान लिया कि अपनी मेहनत की बदौलत वह अपने पिता को एक रूम नहीं बल्कि पूरा घर खरीद कर देगी। शिवानी अपनी सफलता का श्रेय अपने पूरे परिवार को दे रही है। शिवानी को पढ़ाने के लिए पिता लगातार घर से बाहर रहे। कुछ समय तक मां को भी काम करना पड़ा। घर के बर्तन धोने तक का काम भाई ने किया । सबकी आंखों में शिवानी के डॉक्टर बनने का सपना पल रहा था।आखिरकार शिवानी ने अपने परिवार के सपने को साकार कर दिखाया। शिवानी को इस बात का मलाल है कि वह अपने दोस्तों के साथ अगर कोटा जाती तो और बेहतर करती। लेकिन अब वह बेहद खुश है कि बिना किसी संसाधन के व बिना किसी बड़े मार्गदर्शन के उसने जो कर दिखाया है, उससे उसका आत्म बल और मजबूत हुआ है। अब शिवानी एमबीबीएस के बाद एक अच्छी गाइनेकोलॉजिस्ट बनना चाहती है। उसने अपनी मां को बीमारी में कई डॉक्टरों की खाक छानते देखा है। उसे महिला से जुड़ी बीमारियों में पारंगत होकर अपने क्षेत्र में सेवा देने का सपना है। शिवानी की मां को भी अपने बेटी की सफलता पर बेहद गर्व है। शिवानी के पिता सुनील गिरी खुशी के इस मौके पर भी अपने परिवार के साथ नहीं थे। शिवानी की मां उसके पिता के संघर्षों को बताते हुए रो पड़ती हैं। कहा कि कैसे किसी खास पर्व व त्यौहार के मौकों पर भी उसके पिता ने कोई छुट्टी नहीं ली। ओवर टाइम किया। सिर्फ इसलिए कि उनके बच्चे कामयाब बन सकें। शिवानी की मां बताती हैं कि शिवानी कभी-कभी बदहवास पढ़ती रहती थी। अध्ययन करते रात के 1 बज जाते थे। खाना बगल में रखा हुआ होता था। लेकिन शिवानी अपना पूरा चैप्टर कंप्लीट करके ही भोजन कर सोती थी। शिवानी के सिर पर सिर्फ एक जुनून था कि उसे कुछ करना है। अपने परिवार व समाज के हालात को बदलना है।

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