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टाटा स्टील का जीआईपी बना वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ट्रांज़िशनिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स इनिशिएटिव का हिस्सा

रिपोर्ट: MANISH 28 दिन पहलेदेश

भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मिलेगा नया बल, 27,000 करोड़ रुपये से अधिक का संभावित निवेश

टाटा स्टील का जीआईपी बना वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ट्रांज़िशनिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स इनिशिएटिव का हिस्सा

जमशेदपुर : टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के अंतर्गत संचालित गोपालपुर इंडस्ट्रियल पार्क (जीआईपी) को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ट्रांज़िशनिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स इनिशिएटिव में शामिल किया गया है। यह वैश्विक पहल एक्सेंचर और इलेक्ट्रिक पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट (ईपीआरआई) के सहयोग से चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर के औद्योगिक क्लस्टर्स को डीकार्बनाइजेशन, नवाचार और सतत विकास के मार्ग पर अग्रसर करना है। डब्ल्यूईएफ की यह पहल औद्योगिक क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के हितधारकों को एक मंच पर लाकर सीओ-2 उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी के साथ-साथ आर्थिक विकास और रोज़गार के नए अवसरों को प्रोत्साहित करती है। ओडिशा के गंजाम ज़िले में स्थित जीआईपी, तेजी से ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया और ग्रीन एनर्जी उपकरणों के निर्माण का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहा है। यह पार्क भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के साथ समन्वय बनाते हुए देश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने की दिशा में अग्रसर है। टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक माणिकांत नायक ने कहा कि गोपालपुर इंडस्ट्रियल पार्क का डब्ल्यूईएफ की इस परिवर्तनकारी पहल का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है। ओडिशा में तेजी से हो रहे औद्योगिक विकास और जीआईपी जैसे क्लस्टर्स हमें पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व निभाने और एक कार्बन-मुक्त भविष्य के निर्माण में भागीदार बनने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा पर हमारा फोकस सतत औद्योगिक विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम वैश्विक श्रेष्ठ प्रक्रियाओं और रणनीतिक साझेदारियों से लाभ लेकर भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जीआईपी की कुल उपलब्ध भूमि का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है। पार्क ने कई ग्रीन हाइड्रोजन कंपनियों के साथ भूमि के लीज और ब्लॉकिंग समझौते किए हैं। इन परियोजनाओं से प्रति वर्ष दो मिलियन टन से अधिक ग्रीन अमोनिया के उत्पादन की क्षमता विकसित होगी जिसमें बहु-चरणीय निवेश के रूप में लगभग 27,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत शामिल है। इन निवेशों के साथ जीआईपी भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के 2030 तक निर्धारित उत्पादन लक्ष्य का लगभग 10 प्रतिशत योगदान देने में सक्षम होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स के तहत गोपालपुर पोर्ट से जीआईपी को जोड़ने के लिए 2.5 किलोमीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा एक विशेष यूटिलिटी कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है। ग्रीन अमोनिया के सुरक्षित और कुशल निर्यात के लिए गोपालपुर पोर्ट के साथ सहयोग पहले ही स्थापित हो चुका है। वहीं जल और ऊर्जा समाधान के लिए पार्क में एक डीसैलिनेशन प्लांट की योजना बनाई गई है जो औद्योगिक उपयोग के लिए सतत जल आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। पश्चिम भारत से ग्रीन पावर ट्रांसमिशन के लिए आधारभूत सुविधाओं का निर्माण भी किया जा रहा है। एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं ताकि अपशिष्ट जल का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित किया जा सके।

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