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ब्रिटिश जमाने के चर्चित अस्पताल आज बदहाल, डॉक्टर व संसाधन की कमी का दंश झेल रहा संत लुक हॉस्पिटल

रिपोर्ट: VBN News Desk24 दिन पहलेझारखण्ड

स्थिति यह है कि अस्पताल के खिड़की, दरवाजे भी टूट चुके हैं. अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी घास फूस से भरी पड़ी है।

ब्रिटिश जमाने के चर्चित अस्पताल आज बदहाल, डॉक्टर व संसाधन की कमी का दंश झेल रहा  संत लुक हॉस्पिटल

अजय कुमार हिरणपुर। संथाल परगना की धरती हिरणपुर में अंग्रेजों के जमाने में 1929 में चर्च मिशनरी सोसायटी इंग्लैंड संस्था की ओर से 109 बीघा में फैला एक भव्य निर्मित 170 बेड वाला संत लुक नामक अस्पताल आज अपनी पहचान खोता जा रहा है। ब्रिटिश काल का यह अस्पताल बदहाल, डॉक्टर और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है।

संत लुक हॉस्पिटलइस अस्पताल के संस्थापक इंग्लैंड निवासी डॉक्टर एचसी एडमन्स ने 1929 से 1958 तक मरीजों की बेहतर इलाज कर सेवा दिया. उन्होंने इंग्लैंड छोड़कर संथाल की धरती में सेवा देने के मकसद से आए थे. उस समय के दौर में यह अस्पताल बहुत ही प्रसिद्ध था. तब इस अस्पताल में सेवा दे रही नर्सों व अन्य कर्मी की निगाहें आज भी एक उम्मीद लगाए राखी है। कुछ का तो देहांत हो चुका है, मुर्मु डॉक्टर के नाम से काफी चर्चित थे उन्होंने भी अपनी सेवा इस अस्पताल को दिया जो आज भी स्थानीय लोग उन्हें याद करते हैं,लेकिन जो भी कर्मी अभी जीवित हैं उनको आज एक आशा कि किरण दिखाई देती हैं, आशा और बिस्वास आज भी कायम हैं।

इस अस्पताल में 170 बेड के साथ साथ आंख का वार्ड, एक्सरे, डिस्पेंसरी, लैब,चाइल्ड किटेट व वेंटिलेटर क्लीनिक मौजूद था, लेकिन इस समय 20 बेड के भरोसे और डॉक्टर की कमी के कारण भगवान भरोसे अस्पताल चल रहा है । गरीबों को मिलता रहा बेहतर इलाज... इस अस्पताल में गरीबों के लिए कम पैसे में बेहतर इलाज किया जाता था. इसलिए पाकुड़ के साथ साथ अन्य जिलों व अन्य राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल से भी इलाज के लिये लोग आते थे. हिरनपुर में स्थित संत लुक हॉस्पिटल के निर्माण आज़दी के पुर्व हुई थी. यह अस्पताल 1929 से लेकर 2014 तक अस्पताल अच्छे से चली, लेकिन डॉक्टर की कमी और विदेशी फंड अचानक बंद हो जाने के वजह से ये अस्पताल 2014 से लेकर आज तक संत लुक अस्पताल वीरान पड़ी हुई हैं.

अब तक अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती व देखरेख के अभाव में अस्पताल दिनों दिन जर्जर होता जा रहा है. स्थिति यह है कि अस्पताल के खिड़की, दरवाजे भी टूट चुके हैं. अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी घास फूस से भरी पड़ी है। अस्पताल की कुछ, कुछ इमारत गिरने के कागर में है. अगर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन, जनप्रतिनिधि थोड़ी गंभीरता दिखाये तो हिरनपुर स्थित संत लुक अस्पताल को संजीवनी मिल सकती है। अगर झारखण्ड सरकार चाही तो इसे एक मेडिकल कॉलेज में भी तब्दील कर सकती है,जो संथाल परगना के लिए एक अनमोल धरोहर साबित होगी। हालांकि इस दिशा में संथाल परगना से आने वाले माननीय विधायक और सांसद को भी पहल करने की जरूरत है।

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