सिविल सर्जन के कार्यकाल की समाप्ति के साथ काला अध्याय बंद, यौन शोषण मामले में घिरे लिपिक कुलदीप घोषाल की प्रतिनियुक्ति समाप्त
यौन शोषण मामले में आरोपी लिपिक को मिली प्रतिनियोजन से मुक्ति, विभाग ने दिए 24 घंटे में अनुपालन का निर्देश

सरायकेला-खरसावां : जिले के सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार सिंह के कार्यकाल की समाप्ति के साथ ही उनके कार्यकाल के दौरान पनपे विवादों और अनियमितताओं पर अब धीरे-धीरे कार्रवाई होती दिख रही है। सिविल सर्जन कार्यालय में लंबे समय से प्रतिनियुक्त लिपिक कुलदीप घोषाल पर यौन शोषण का मामला स्थानीय न्यायालय में लंबित है। पीड़ित पक्ष ने बार-बार आरोप लगाया कि कुलदीप घोषाल गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं बावजूद इसके उन्हें पूर्व सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार द्वारा संरक्षण मिलता रहा। अब स्वास्थ्य निदेशालय, झारखंड द्वारा जारी ताजा आदेश में कुलदीप घोषाल की प्रतिनियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सी.के. शाही द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कुलदीप घोषाल को उनके मूल पदस्थापित स्थान अनुमंडलीय अस्पताल चांडिल में योगदान देना होगा और न्यायालय में लंबित केस के अंतिम निस्तारण तक उन्हें जिला मुख्यालय के किसी भी कार्यालय में पदस्थापित नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य निदेशालय, झारखंड द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि कुलदीप घोषाल की प्रतिनियुक्ति वर्ष 2019 में सिविल सर्जन कार्यालय सरायकेला-खरसावां में की गई थी। लेकिन फिजियोथेरेपिस्ट सुधा कुमारी द्वारा दायर यौन शोषण के एक मामले में वह आरोपी हैं जिसका सेशन ट्रायल संख्या 147/2018 के तहत सुनवाई चल रही है। निदेशालय ने पहले भी सिविल सर्जन को उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त करने का निर्देश दिया था लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। इस बार आदेश में विशेष रूप से यह भी कहा गया है कि कुलदीप घोषाल को किसी भी हालत में जिला मुख्यालय के अंतर्गत प्रतिनियुक्त नहीं किया जाए। सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया है कि वे 24 घंटों के अंदर अनुपालन प्रतिवेदन निदेशालय को उपलब्ध कराएं। इस आदेश को जिले में प्रशासनिक स्वच्छता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और इससे यह संकेत भी मिलता है कि अब उच्च पदों पर बैठे अधिकारी अपने प्रभाव से मामलों को दबा नहीं सकेंगे।