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पाकुड़ से दुमका की सड़क गड्ढे में हुई तब्दील, जानलेवा बन गई सड़क, शासन, प्रशासन बना मूक दर्शक

रिपोर्ट: कार्तिक कुमार2 दिन पहलेझारखण्ड

कोयले और पत्थर की ढुलाई से जर्जर हुई सड़क

पाकुड़ से दुमका की सड़क गड्ढे में हुई तब्दील, जानलेवा बन गई सड़क, शासन, प्रशासन बना मूक दर्शक

पाकुड़। दुमका से पाकुड़ की मुख्य सड़क की स्थिति दिनों दिन बद से बदतर होती चली जा रही है। खासकर अमरपारा से काठीकुंड तक की सड़क पर फोर व्हीलर तो क्या बाइक का भी सही तरीके से चलना अब दूभर हो गया है। इस मार्ग पर चलने वाले हाइवा, डंपर से लेकर छोटे, बड़े वाहन को अमरापारा से दुमका 50 किलोमीटर की दूरी तय करने में 2 घंटा से अधिक का समय लग रहा है। सड़क की दुर्गति के कारण आए दिन छोटे वाहन से लेकर बाइक चालक अक्सर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। दिनों, दिन सड़क की हो रही दुर्दशा पर ना तो शासन, प्रशासन का ध्यान है और नहीं स्थानीय जन प्रतिनिधियों का। इस सड़क से होकर चलने वाले यात्री से लेकर वाहन चालक आज शासन, प्रशासन कोसते सुने जा रहे है।

दिशा की बैठक में पाकुड़ विधायक ने सड़क का मुद्दा उठाया 2.jpg पाकुड़ की विधायक निसात आलम ने शनिवार को पाकुड़ में संपन्न सांसद की अध्यक्षता में दिशा की बैठक में पाकुड़ से दुमका की जर्जर सड़क का मुद्दा उठाते हुए शीघ्र मरम्मती कराने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि पाकुड़ से दुमका की सड़क पर चलने वाले लोग आए दिन दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। इस सड़क का जल्द से जल्द रिपेयरिंग हो ताकि लोग सुरक्षित तरीके से आवागमन कर सकें। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा उठाए गए सवाल पर पाकुड़ डीसी ने संज्ञान में लिया और संबंधित विभाग के अधिकारियों को जल्द से जल्द सड़क को दुरुस्त करने का निर्देश दिया है।

कोयले और पत्थर की ढुलाई से जर्जर हुई सड़क पाकुड़, दुमका मुख्य मार्ग जो प्रमंडलीय मुख्यालय से सीधा साहिबगंज, पाकुड़ जिला को जोड़ता है। यह सड़क आज जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है। वजह यह है की पब्लिक के लिए बनी है सड़क अब कोयला और पत्थर ढुलाई की सड़क बन गई है। आज के दिन में इस सड़क पर प्रतिदिन पांच से छह सौ की संख्या में क्षमता से अधिक कोयला और पत्थर की ढुलाई होती है। जिस वजह से यह सड़क ने आज अपना दम तोड़ दिया है। शासन और प्रशासन को बार-बार संज्ञान में लाने के बावजूद भी मौन साधे हुए हैं।

काठीकुंड में तीन दिन बंद हुई थी कोयले की ढुलाई

पाकुड़ दुमका की जर्जर हुई सड़क और आए दिन हो रहे सड़क दुर्घटना को लेकर काठीकुंड में ग्राम प्रधान की अगुवाई में लोगों ने तीन दिन तक कोयला की ढुलाई पर रोक लगा दी थी। ग्रामीणों की मांग थी कि कोयला की ढुलाई दिन में ना कर रात में हो। ताकि लोग दिन में सुरक्षित तरीके से आवागमन कर सकें। इस मांग पर दुमका जिले के अनुमंडल पदाधिकारी की उपस्थिति में वार्ता हुई और सहमति बनी कि कोयले से लदी डंपर का परिचालन रात में ही होगा। बावजूद आज दिन और रात 24 घंटे कोयले की ढुलाई हो रही है और सड़कों की हालत दिनों दिन जर्जर होती चली जा रही है।

बगैर एनओसी के सड़क पर बना दिए गए बड़े-बड़े ब्रेकर

पाकुड़ , दुमका मार्ग पर अमरापारा से दुमका के बीच जगह-जगह पर बड़े-बड़े ब्रेकर बना दिए गए हैं जो नियम के विरुद्ध बताया जा रहा है। सड़क पर ब्रेकर बनाने के पूर्व नेशनल हाईवे के द्वारा एनओसी लेनी होती है। लेकिन कोयला की ढुलाई करने वाले प्रबंधन ने अपने डंपरों की गति पर लगाम लगाने के लिए और दुर्घटना से बचने के लिए बड़े-बड़े ब्रेकर बना दिए जो अब छोटे वाहन या फिर बाइक चालक को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है । निश्चित रूप से इस मामले को नेशनल हाईवे प्रबंधन को संज्ञान में लेना चाहिए और जो उनके गाइडलाइन में ब्रेकर बनाने का जो नियम संगत होता है उसका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

आखिर किसने दी कोयला ढोने के लिए में रोड पर अनुमति

अमरापारा से दुमका मुख्य मार्ग पर कोयला ढुलाई की अनुमति आखिर कार किसने दी। यह अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है। पचवारा नॉर्थ कोल ब्लॉक में माइनिंग के लिए वेस्ट बंगाल पावर कारपोरेशन को तीस साल की लीज मिली है। कोयले की ढुलाई पाकुड़ और दुमका दोनों सड़क से होकर की जा रही है। गौर करने के बात यह है कि अमरापारा से पाकुड़ के लिए लिंक रोड बनी है जो केवल कोयले की ढुलाई करने के लिए सड़क है। लेकिन अमरापारा से दुमका जो मेन रोड है और वह साहिबगंज से गोविंदपुर एक्सप्रेस हाईवे सड़क के नाम से जाना जाता है । इस सड़क पर बगैरअनुमति के ही कोयल की ढुलाई की जा रही है जो जांच का विषय है। जबकि पचवारा नॉर्थ कोल ब्लॉक में वेस्ट बंगाल पावर कॉरपोरेशन को 30 साल के लिए जब लीज मिली है और उनके द्वारा कोयले की ढुलाई 30 साल की अवधि में अब तक 7 साल पूरी कर ली गई है। शेष 23 साल कोयले को ढुलाई के लिए इन्हें अपनी सड़क बनानी चाहिए। लेकिन आज पब्लिक के चलने के लिए बनी सड़क पर ही कोयले की ढुलाई की जा रही है। जिससे पब्लिक अक्सर डंपर से दुर्घटना के शिकार के साथ-साथ सड़कों की हो गई दुर्गति का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह हो गई है कि सड़क को ना तो आज एक्सप्रेस हाईवे मैनेजमेंट देख रेख कर रही है और नहीं कोल प्रबंधन। सड़क की दुर्गति के कारण इस मार्ग पर चलने वाले लोग आज बेहाल और परेशान है।

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