1850 ईस्वी में अंग्रेजों के द्वारा भंडार गांव में खोला गया था स्कूल
कभी नामांकन के लिए लोगों को लगानी पड़ती थी दौड़, आज भी शैक्षणिक मूल्य को बनाए रखा है विद्यालय परिवार

रिपोर्ट रघुवीर पांडेय
विश्रामपुर (पलामू) : पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड स्थित भंडार गांव का राजकीय मध्य विद्यालय की स्थापना 1850 ईस्वी में किया गया है। उन दिनों भारतवर्ष आजाद नहीं अंग्रेजों के गुलाम थे। भंडार गांव में विद्यालय की स्थापना अपने आप में एक गौरव से कम नहीं था। जहां भंडार ही नहीं जिले के कई अन्य प्रखंड क्षेत्र के गांव से छात्र पढ़ने आया करते थे। कारण हर जगह विद्यालय सुलभ नहीं थे। कभी विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामप्रवेश मेहता जी हुआ करते थे।
उन्होंने विद्यालय की बेहतरी और शैक्षणिक व्यवस्था को बनाए रखने में कोई कसर भी नहीं छोड़े। विद्यालय हर आते-जाते लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता था। उसे आज भी विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षक बनाए रखने में सार्थक पहल दिखा रहे हैं। इसमें शिक्षक जय बहादुर पासवान की भूमिका सराहनीय है।
आश्चर्य तो इस बात का है कि राजकीय मध्य विद्यालय का पुराना भवन कब बना इसकी समुचित जानकारी किसी से नहीं नहीं मिल पा रहा। लेकिन विद्यालय का पुराना भवन आज भी अपनी सुंदरता और मजबुती को बनाए हुए हैं। भवन के निर्माण कार्य में उन दिनों उपयोग में लाए गए लोहे का एक बड़ा बीम जिस पर "मेड इन बर्मिंघम" लिखा है, जंग की क्या मजाल आज भी उसकी चमक बनी है। लोगों की माने तो भवन का निर्माण कार्य विद्यालय की स्थापना के कुछ हीं दिनों बाद अंग्रेजो के द्वारा कराया गया था। ऐसे में 100 वर्ष से भी अधिक समय हो जाने के बाद भी विद्यालय की मजबूती और चमक आज भी बेमिसाल है।