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राजनगर में गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित

रिपोर्ट: MANISH 6 घंटे पहलेझारखण्ड

ओलचिकी लिपि को लेकर अब भी अधूरे हैं सपने: सुगनाथ हेमब्रम

राजनगर में गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित

सरायकेला : संताली भाषा की लिपि ओलचिकी के जनक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती पर आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से सोमवार को राजनगर के रोला स्थित पंडित रघुनाथ मुर्मू चौक में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नायके बाबा कादे मुर्मू के नेतृत्व में आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार पूजा-अर्चना के साथ की गई। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने गुरू गोमके को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें शत-शत नमन किया। कार्यक्रम में बतौर वक्ता उपस्थित झारखंड प्रदेश के पोनोत परगना सुगनाथ हेंब्रोम ने कहा कि पंडित रघुनाथ मुर्मू का सपना आज भी अधूरा है। ओलचिकी लिपि को स्थापित करने के लिए उन्होंने जीवन समर्पित किया पर आज भी संथाली भाषा को झारखंड राज्य की प्रथम राजभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है। गुरु गोमके के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि पंडित रघुनाथ मुर्मू का जन्म 5 मई 1905 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के डांडबुस गांव में हुआ था। उन्होंने मात्र 20 वर्ष की उम्र में ओलचिकी लिपि का आविष्कार किया और वर्ष 1925 में उसे समाज के सामने प्रस्तुत किया। वे एक शिक्षक, लेखक और नाटककार थे। उनके प्रमुख नाटकों में विदू-चंदन और दाड़े गे धोन शामिल हैं। ओलचिकी लिपि के भविष्य पर चिंता जताते हुए सुगनाथ हेंब्रोम ने कहा कि आज लिपि के 100 वर्ष पूरे हो गए है लेकिन ओलचिकी को वह सम्मान नहीं मिला जिसकी वह हकदार है। झारखंड आदिवासियों का राज्य है लेकिन संथाली जैसी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषा को अब तक राज्य की पहली राजभाषा नहीं बनाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पंडित मुर्मू की शिक्षाओं को सिर्फ समारोह तक सीमित न रखा जाए बल्कि उनके संदेश ओल मेनाग् तमा, रोड मेनाग् तमा, धोरोम मेनाग् तमा, आमहों मेनामा को आत्मसात करना और अमल में लाना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम में पार्वती हेंब्रोम, जॉन मुर्मू, विजय हांसदा, बुधू टुडू, रश्मि हेंब्रोम, छोटी मुर्मू, बुघू टुडू, ठकुरा हांसदा, मेनका हांसदा, संगीता मुर्मू, माही टुडू, पूनम मुर्मू, सुसांत हांसदा, सागुन मुर्मू, आर्यन मुर्मू, राम मुर्मू, बबलू हेंब्रोम, लुलीन मुर्मू, दीपक मुर्मू सहित कई लोग मौजूद रहे।

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