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सत्ता की भूख में बौखलाए चंपई सोरेन की सियासत अब झूठ और जहर पर टिकी हुई है - सतीश पौल मुजनी

रिपोर्ट: VBN News Desk5 घंटे पहलेझारखण्ड

चम्पई सोरेन जब मुख्यमंत्री थे, तब उनको बांग्लादेश घुसपैठी और धर्म परिवर्तन की बात याद नहीं आती थी

सत्ता की भूख में बौखलाए चंपई सोरेन की सियासत अब झूठ और जहर पर टिकी हुई है - सतीश पौल मुजनी

रॉंची, : भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस दरअसल हताशा में दी गई एक घिसी-पिटी पटकथा थी, जिसमें न झारखंड का भविष्य था, न जनहित की चिंताकृसिर्फ झूठ, जहर और झूठे आरोपों का थोक भंडार था, सत्ता की भूख में बौखलाये चंपई सोरेन की सियासत अब झूठ और जहर पर टिकी हुई है। सत्ता से बाहर होते ही भाजपा नेता झूठ, अफवाह और भय की राजनीति पर उतर आए हैं। आज जिस तरह आदिवासी महिला से छेड़खानी के एक गंभीर मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का प्रयास हुआ और तथाकथित श्बांग्लादेशी घुसपैठियोंश् की मनगढ़ंत कहानियाँ सुनाई गईं, वह केवल लोगों को गुमराह करने और मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। मीडिया चेयरमैन सतीश पौल मुजनी ने कहा की आदिवासी महिलाओं की सुरक्षा पर भाजपा की दोहरी नीति है - भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जब दिल्ली में आदिवासी महिला के साथ बलात्कार होता है, तब उनके नेताओं की ज़ुबान क्यों सिल जाती है? मणिपुर में आदिवासी महिलाओं पर जघन्य अपराध पर प्रधानमंत्री चुप क्यों रहते हैं? झारखंड में महिलाओं के हक की बात करने से पहले भाजपा को अपने कर्मों का आईना देखना चाहिए। चंपाई जी को यह भी बताना चाहिए 2021 से 2024 के बीच अनुसूचित जातियों की 47,000 से ज़्यादा शिकायतें राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) में दर्ज की गई हैं, ये सभी शिकायतें भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की निगरानी में हैं। सबसे ज़्यादा मामले बीजेपी शासित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा से आए हैं, जिनमें जाति आधारित हिंसा, ज़मीन पर कब्ज़ा और रोज़गार और कल्याणकारी वितरण में घोर भेदभाव की घटनाएँ शामिल

सतीश पौल मुजनी ने कहा की बांग्लादेशी घुसपैठियों की झूठी कहानी सुनाकर भाजपा फिर से वही पुराना साम्प्रदायिक स्क्रिप्ट दोहरा रही है। क्या भाजपा बताएगी कि पिछले दस वर्षों में केंद्र में रहते हुए इस घुसपैठ के खिलाफ इन्होंने क्या किया? या ये सिर्फ चुनावी कागज़ी भूत है, जिसे जब मन हो हवा में नचाया जा सकता है?

चम्पई सोरेन जब मुख्यमंत्री थे, तब उनको बांग्लादेश घुसपैठी और धर्म परिवर्तन की बात याद नहीं आती थी और उस समय भाजपा को पानी पी-पी कर कोसते थे, जब से भाजपा का दामन थामे हैं, तब से आलाकमान को खुश करने के लिए इस तरह की बयानबाजी करते रहते हैं।

भाजपा बार-बार तथाकथित बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात कर राज्य के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ने की साजिश कर रही है। यह वही पार्टी है जिसने एनआरसी और सीएए के नाम पर देश भर में सांप्रदायिक तनाव फैलाया। झारखंड की भूमि पर ऐसी विभाजनकारी राजनीति नहीं चलेगी। भाजपा नेता आदिवासी महिलाओं की आड़ में राजनीति बंद करें। पूर्व मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे राज्य के विकास, किसानों, युवाओं और रोजगार जैसे असल मुद्दों पर बात करें, न कि झूठ और नफ़रत की राजनीति पर।

कांग्रेस पार्टी झारखंड की अस्मिता, आदिवासी संस्कृति और सामाजिक समरसता की रक्षक है। भाजपा चाहे जितना झूठ बोले, झारखंड की जनता अब समझ चुकी है कि भाजपा का असली चेहरा दलित-विरोधी, महिला-विरोधी और संविधान-विरोधी और आदिवासी विरोधी है।

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