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चैनपुर में पशु तस्करी चरम पर, ग्रामीणों में आक्रोश

रिपोर्ट: शनिरंजन 38 दिन पहलेझारखण्ड

अगर प्रशासन समय पर सक्रियता दिखाती, तो सैकड़ों गोवंश पशुओं को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया जा सकता था।

चैनपुर में पशु तस्करी चरम पर, ग्रामीणों में आक्रोश

चैनपुर: चैनपुर प्रखंड में पशु तस्करी का धंधा अपने चरम पर है। इन दिनों क्षेत्र से अवैध रूप से भारी पैमाने पर गोवंश पशुओं की तस्करी की जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य से जारी के रास्ते अवैध रूप से गोवंश पशुओं को हाँकते, मारते और पीटते हुए क्रूरता पूर्वक चैनपुर थाना क्षेत्र से ही कोटक घाघरा होते हुए लोहरदगा ले जाया जाता है। ग्रामीणों के अनुसार रात के अंधेरे में सैकड़ों की संख्या में गोवंश पशुओं को भागते हुए बीती रात रामपुर पंचायत के बुकमा गाँव के रास्ते से ले जाया जा रहा था।

अगर प्रशासन समय पर सक्रियता दिखाती, तो सैकड़ों गोवंश पशुओं को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया जा सकता था। मंगलवार की रात रामपुर पंचायत के बुकमा गाँव के पास कुछ गौ-तस्कर मवेशियों को लेकर जा रहे थे। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पंचायत के मुखिया दीपक खलखो को दी, जिन्होंने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर चैनपुर थाना को सूचित किया। लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक सूचना देने के बावजूद करीब एक घंटे तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंची और न ही किसी तरह की कार्रवाई हुई। ग्रामीणों ने मांग की है कि लगातार हो रही पशु तस्करी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ठोस कदम उठाए, अन्यथा ग्रामीण आंदोलन को मजबूर होंगे।

इससे पहले भी चैनपुर और रायडीह में पशु तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं, जहां पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई पशुओं को जब्त किया था। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने पशु तस्करी पर रोक नहीं लगाई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि पशु तस्करी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और प्रशासन की लापरवाही के कारण तस्कर बेखौफ होकर अपना धंधा चला रहे हैं।

इधर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि रात करीब 2 बजे मुखिया का कॉल आया था और पूरी जानकारी दी गई थी। लेकिन अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने और थाने में पर्याप्त पुलिस बल की कमी के कारण फोर्स को मौके पर नहीं भेजा जा सका।इससे पहले भी चैनपुर और रायडीह क्षेत्र में पशु तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें पुलिस ने कार्रवाई कर कई मवेशियों को जब्त किया था। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही प्रशासन ने पशु तस्करी पर रोक नहीं लगाई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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