विशु शिकार पर्व के तहत दलमा में सेंदरा को लेकर वन विभाग सतर्क, बनाए गए 17 चेकनाका
सूत्रों के अनुसार दलमा क्षेत्र में टाइगर की मौजूदगी ने भी सेंदरा वीरों के बीच भय का माहौल बना दिया है।

चांडिल : आदिवासी समाज का पारंपरिक शिकार पर्व सेंदरा आज पूरे झारखंड में उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। पर्व को लेकर दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के जंगलों में आदिवासी समाज के सेंदरा वीर परंपरागत हथियारों के साथ आखेट के लिए निकल पड़े हैं। पुरुषों की टोली तीर-धनुष, भाला आदि हथियारों से लैस होकर जंगलों में दिखाई दे रही है। इस बीच वन विभाग पूरी तरह से सतर्क है। दलमा की तलहटी में वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 17 चेकनाके बनाए गए हैं जहां वनकर्मियों को तैनात किया गया है। वन विभाग की ओर से यह स्पष्ट निर्देश है कि यदि किसी भी वन्य जीव का शिकार किया गया तो यह वन अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा और कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वन विभाग ने सभी सेंदरा वीरों से अपील की है कि वे सेंदरा पर्व को केवल सांस्कृतिक और धार्मिक रूप में मनाएं। विभाग ने चेताया है कि नशीली दवाओं, देसी कट्टों, बंदूकों, जाल और अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग वर्जित है। पिछले वर्ष विभाग ने देसी कट्टा जब्त कर इस उल्लंघन का पर्दाफाश किया था। इस वर्ष 2025 में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दलमा क्षेत्र को पाँच जोनों में बांटा गया है और प्रत्येक जोन के लिए एक प्रभारी नियुक्त किया गया है। इनकी जिम्मेदारी सुरक्षा, निगरानी और किसी भी अवांछित गतिविधि को रोकना है। सूत्रों के अनुसार दलमा क्षेत्र में हाल में देखे गए रॉयल बंगाल टाइगर की मौजूदगी ने भी सेंदरा वीरों के बीच भय का माहौल बना दिया है। कई लोगों ने जंगलों में शिकार करते समय सतर्कता बरतने की बात कही है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आदिवासी समुदाय अपनी परंपरा, आस्था और सांस्कृतिक पहचान को बचाए रखने के लिए सेंदरा पर्व में शामिल हो रहा है लेकिन वन्य जीव संरक्षण के मद्देनजर प्रशासन की सख्ती और सतर्कता इस बार काफी अधिक देखने को मिल रही है।